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रामकोला: हिंदी राष्ट्रभाषा ही नहीं, बल्कि हिंदुस्तानियों की पहचान है- विधायक रामानन्द बौद्ध

Ram Bihari Rao

Reported By:
Published on: Sep 14, 2021 | 5:45 PM
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रामकोला: हिंदी राष्ट्रभाषा ही नहीं, बल्कि हिंदुस्तानियों की पहचान है- विधायक रामानन्द बौद्ध
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  • हिंदी संस्कृति साहित्य, संस्कारों की संरक्षक एवं संवाहिका तथा ये साहित्य समाज का दर्पण है।

रामकोला/कुशीनगर (न्यूज अड्डा)। विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर रामकोला क्षेत्र अन्तर्गत स्थित विद्यालयों,महाविद्यालयों सहित आदि संस्थानों में कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया तथा साहित्यकारों, कवियों व वक्ताओं द्वारा हिंदी की महत्ता पर प्रकाश डाला गया।इस दौरान कवियों ने अपनी रचनाओं से हिंदी के उत्थान का संदेश दिया।

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क्षेत्र के लक्ष्मीगंज (राजेन्द्र नगर) बाजार स्थित श्री राजेन्द्र इसरावती सीनियर सेकेण्डरी स्कूल में हिन्दी व हिन्दी साहित्यकारों के सम्मान में ‘मधुर साहित्यिक सामाजिक संस्था लक्ष्मीगंज’ के तत्वाधान में 81वीं

गोष्ठी का आयोजन किया गया है तथा विश्व शांति को समर्पित अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था ‘हिन्द देश परिवार’ द्वारा लक्ष्मीगंज के साहित्यकार अशोक शर्मा को उनकी साहित्यिक सेवाओं के आधार पर हिन्द देश परिवार जम्मू कश्मीर इकाई के अध्यक्ष पद पर मनोनयन की खुशी में मुख्य अतिथि विधायक रामानन्द बौद्ध व विद्यालय प्रधानाचार्य बी. डी. यादव तथा डॉ0 इन्द्रजीत गो0 राव ने उन्हें माल्यार्पण कर सम्मानित किया।

बतौर मुख्य अतिथि रामकोला विधायक श्री बौद्ध ने कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा ही नहीं, बल्कि हिंदुस्तानियों की पहचान है।उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी चौथे नंबर की भाषा है।हम सबके लिए हिंदी दिवस और हिंदी भाषा का बहुत महत्व है।हिंदी हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा ही नहीं, बल्कि हिंदुस्तानियों की पहचान भी है।उन्होंने कहा कि हिंदी का प्रयोग करते हुए हमें गर्व होना चाहिए, मौका मिले तो अन्य देशों में भी हमें अपनी मातृ भाषा का प्रयोग करना चाहिए। कहा कि हिंदी संस्कृति साहित्य और संस्कारों की संरक्षक एवं संवाहिका तथा ये साहित्य समाज का दर्पण है।

उन्होंने कहा कि जन -जन की भाषा है हिंदी, भारत की आशा है हिंदी,।इस अवसर पर आर के भट्ट ने अपनी रचना ‘भीड़ बहुत बा पर बेगाना बा,शहर के अइसन ताना- बाना बा’ से खूब वाहवाही बटोरी। सुरेंद्र गोपाल ने पढ़ा’ तेरे इन्जार का हमें मलाल नहीं’। मुजीब सिद्दीक ने पढ़ा’ प्रेम करूना की नीर भाषा, है ये संतों की पीर भाषा’। इम्तियाज समर ने पढ़ा ‘ दिल से दिल को जोड़ देती है ,सिर्फ हिंदी जुबान है यारों।’ मधुसूदन पांडेय ने पढ़ा’ हिंदी हिंदुस्तान की भाषा, जन जन में लहराती है’। जय कृष्ण शुक्ल ने पढ़ा, ‘भीड़ रोजी से हटाई जा रही है’। आर्शी वास्तवी ने पढ़ा’ ‘और क्या क्या मिशाल दूँ अर्शी, जिस्म उर्दू तो जान है हिंदी’। गोमल प्रसाद ने पढ़ा’ ‘हिंदी भावों की भवानी है’। डॉ इंद्रजीत गोविंद राव अपनी रचना’ गिरना नहीं है गिर कर संभालना है जिंदगी’ पर प्रशंसा बटोरी।इस अवसर के विद्यालय प्रधानाचार्य बी.डी.यादव ने वरिष्ठ एवं उदयीमान कवियों को अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया। गोष्ठी की अध्यक्षता परमहंस पांडेय और संचालन फिरोज अली व मधुसूदन पांडेय ने संयुक्त रूप से किया।

Topics: रामकोला

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