Reported By: Ram Bihari Rao
Published on: Oct 13, 2021 | 2:35 PM
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रामकोला/कुशीनगर (न्यूज अड्डा)। रामकोला क्षेत्र के अंतर्गत स्थानीय कस्बा के बगल में प्राचीन धर्म समधा देवी मंदिर परिसर अंतर्गत स्थापित सती माता के मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैला हुआ है।प्रतिदिन मां धर्मसमधा के मंदिर में माथा टेकने वाले भक्त सती माता के दरबार में भी हाजिरी लगाते है।
सच्ची घटना, विदित हो कि लगभग 500 वर्ष पूर्व की बात है कि रामकोला क्षेत्र के कुसम्ही गांव में राजा मदन पाल सिंह राज करते थे। राजा के वहां एक सुन्दर कन्या का जन्म हुआ,खूब खुशियाँ मनाई गई । राजा मदन पाल सिंह राजपुरोहित को बुलाकर कन्या की जन्मकुंडली दिखाई। तो राजपुरोहित ने राजा मदनपाल से बताया कि कन्या की कुंडली ठीक नहीं है।राज पुरोहित ने राजन से बोले कि कन्या की शादी उपरांत कोहबर में ही कन्या के पति को शेर (बाघ) मार डालेगा।राज पुरोहित की बात सुनकर राजा को बड़ी चिंता हुई। जब वह कन्या धीरे-धीरे विवाह योग्य हो गई तो राजा ने राजपुरोहित को बुलाया और पूछा कि इसका कोई समाधान हो तो बताएं। राजपुरोहित ने कुछ देर सोचने के बाद बताया कि शेर छलांग लगाकर कोहबर तक न पहुंच सके इसके लिए विवाह मंडप से लेकर कोहबर मण्डप (सुन्दर भवन) के चारो तरफ पोखरे का निर्माण करा दिया जाय।राजा ने राज पुरोहित के बातों को गंभीरता से लेते हुए प्राचीन दुर्गा मंदिर परिसर में एक सुंदर भवन का निर्माण कराकर उसके चारों तरफ पोखरा खुदवा दिया और उसको पानी से भरवा दिया। उसके बाद उस कन्या का विवाह एक राजकुमार के साथ प्राचीन दुर्गा मंदिर धर्मसमधा में ही संपन्न हुआ। शादी के दो दिन बाद जब राजकुमारी कोहबर में गई और कोहबर में राजकुमार को उबटन (बुकवा) लगाने के लिए नाउन ( हजामिन) आयी तथा हजामिन ने उबटन लगाते समय मजाक (हंसी) तौर पर उबटन के ढ़ेर को इकट्ठा करके एक पिंड बनाया और राजकुमार को दिखाकर कहने लगी कि यह शेर है, बस इतना ही कहना था कि उबटन का पिंड शेर बन गया और राजकुमार पर टूट पड़ा तथा राजकुमार को मार डाला। यह घटना पूरे राज्य में हवा की तरह फैल गई ।उसके बाद सारी खुशियां दुख में बदल गयी।इस घटना के बाद राजकुमारी ने मृत राजकुमार को अपनी गोद में लेकर चिता पर बैठ गई और जलकर सती हो गई।मंदिर में सती माता की गोद में पति की प्रतिमा स्थापित है जो आज आस्था का केन्द्र बना हुआ है। मंदिर के पुजारी त्रिलोकी नाथ पाण्डेय ने बताया कि सती माता के दरबार में श्रद्धा से मांगी गई भक्तों की हर मुरादें पूरी होती है।
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