Reported By: Sanjay Pandey
Published on: Oct 19, 2024 | 7:40 PM
340
लोगों ने इस खबर को पढ़ा.
खड्डा/कुशीनगर। देश में बाल विवाह कानून पर एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के प्रभावी तरीके से कार्यान्वयन के लिए विस्तृत दिशा निर्देश जारी करते हुए बाल विवाह अपनी मर्जी से जीवन साथी चुनने के अधिकार को छीनता है।
बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के सहयोगी सोसाइटी फश्र्वर इनलाइटनमेंट एंड वॉलंटरी एक्शन (सेवा) और कार्यकर्ता निर्मल गोरानी की याचिका पर आए इस फैसले का स्वागत करते हुए गैर सरकारी संगठन मानव सेवा संस्थान सेवा के निदेशक राजेश मणि ने कहा सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से देश में बाल विवाह के खात्मे के प्रयासों को और मजबूती मिलेगी और हम राज्य सरकार से अपील करते हैं कि वह इन दिशा निर्देशों पर तत्काल प्रभाव से अमल करें ताकि 2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त बनाने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। मानव सेवा संस्थान देश के 200 से ज्यादा संगठनों के गठबंधन बाल विवाह मुक्त इसभारत सीएमएफआई अभियान का एक अहम सहयोगी है जो 2030 तक बाल विवाह के खिलाफ 400 से ज्यादा जिलों में जमीन अभियान चला रहे है। कहा की यह हम सभी के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण फैसला है।
राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन बाल विवाह के खात्मे के लिए जिस जोश और संकल्प के साथ काम कर रहे हैं वह सराहनीय है, और यह फैसला हम सभी की साझा प्रयासों को और मजबूती देगा। इस अभियान के तहत लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई है।
Topics: खड्डा