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तमकुहीराज: हरी कृपा से संत मिलते है तो सत्संग होता है- गुप्तेश्वर जी महराज

Surendra nath Dwivedi

Reported By:
Published on: Feb 16, 2024 | 6:36 PM
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तमकुहीराज: हरी कृपा से संत मिलते है तो सत्संग होता है- गुप्तेश्वर जी महराज
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तमकुहीराज/कुशीनगर । स्थानीय तहसील क्षेत्र के थाना तमकुहीराज अंतर्गत ग्राम पंचायत पांडेय मुन्नी पट्टी, (श्याम पट्टी) में प्रारंभ नव दिवसीय रुद्र महायज्ञ में हो रहे राम कथा के प्रथम दिन कथा एवम ग्रंथ की महिमा गाई गई ।

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कथा व्यास जगद गुरु रामानुजाचार्य गोविंदाचार्य गुप्तेश्वर जी महाराज पूर्व डी जी पी बिहार ने कथा प्रारंभ करते हुए बताया की श्री हनुमान शिव और श्रीराम लक्ष्मण सीता यानि सगुण साकार ब्रह्म के प्रत्यक्ष दर्शन के पश्चात 78 वर्ष की आयु में भगवान शिव की आज्ञा से बाल्मिकी जी के अवतार गोस्वामी श्री तुलसी दास जी ने अयोध्या में श्री राम चरित्र मानस ग्रंथ का प्रकाशन किया इसमें वधविद्या का विज्ञान प्रकाशित है वेदों ने आत्म कल्याण के लिए तीन मार्ग बताए ज्ञान मार्ग भक्ति मार्ग और कर्म मार्ग तुलसी दास जी ने जीवो के कल्याण के लिए सबसे सरल मार्ग प्रपति यानि सरणा गति को बताया है ग्रंथ के आरंभ में गणेश सरस्वती सीता शिव पार्वती की बंदना के बाद गुरु की महिमा विस्तार से गाई गई है गुरु ही जीव को अंधकार से प्रकाश में ले जाते है संत सत्संग और कथा की महिमा भी गाई गई है हरी कृपा से संत मिलते है तो सत्संग होता है और सत्संग से चित्र सुधि होती है जब चित्र सुधि होती है तब व्रध जिज्ञासा होती है सुधसत्तो गुणी चित्त में जब प्रेम का बीज गुरु डाल देता है तो भक्ति रूपी बृक्ष उत्पन होता है यह भक्ति मुक्ति से भी बड़ी है इससे भगवान का सतत सांध्य प्राप्त होता है श्री राम चरित्र मानस ग्रंथ भक्ति प्राप्त करने का विज्ञान है कथा श्रवण से ही धीरे धीरे तपोगुण और रजोगुण कम होता है सतोगुण बढ़ता है और ईश्वर के प्रति प्रेम उत्पन होता है इसी लिए कथा श्रवण की बड़ी महिमा है कल शती मोह और शिव विवाह का प्रसंग सुनाया जाएगा यह कथा रोज दिन में ठीक एक बजे से चार बजे दिन तक चलेगी श्रोताओं से 12:30 बजे तक कथा स्थल तक पहुंचने का आग्रह किया गया है उल्लेखनीय है की कथा व्यास श्री गुप्तेश्वर पांडेय बिहार के पुलिस महानिदेशक रहे अब स्वेक्षिक सेवा निर्बित लेने के बाद रामानुज संप्रदाय में दीक्षित जगद गुरु होने के बाद देश विदेश में कथा कहते है और सद गुरु रामानुजाचार्य गोविंदाचार्य गुप्तेश्वर महाराज कहे जाते है।

राम कथा के दौरान प्रमुख रूप से प्रधान प्रतिनिधि अनूप राय ,मनोज श्रीवास्तव,दूधनाथ गुप्ता,सुरेंद्र श्रीवास्तव,अजय, प्रदीप, अनिल, विजय कलश, अभिषेक मिश्र, अनुज राय, मृत्यंजय ठकुराई, राजेंद्र श्रीवास्तव, सुनील, शैलेंद्र, भीम कुशवाहा, रंजन मौजूद रहे।

Topics: तमकुहीराज

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