Reported By: Surendra nath Dwivedi
Published on: Aug 17, 2025 | 12:20 PM
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कुशीनगर।
सन 1994 में जन्माष्टमी के दिन कुशीनगर जनपद के पचरुखिया क्षेत्र में दस्यु गिरोह और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस भीषण मुठभेड़ में छह पुलिसकर्मियों ने वीरगति प्राप्त की थी। उस हृदयविदारक घटना के बाद से तीन दशकों तक जनपद के किसी भी थाना या पुलिस लाइंस में जन्माष्टमी पर्व नहीं मनाया गया। लेकिन इस वर्ष पुलिस अधीक्षक कुशीनगर संतोष कुमार मिश्रा ने ऐतिहासिक परंपरा को पुनर्जीवित करते हुए सभी थानों और पुलिस लाइंस में जन्माष्टमी धूमधाम से मनाने का आदेश जारी किया।
शनिवार की मध्य रात्रि जिले के हर थाना परिसर और पुलिस लाइंस में भगवान श्रीकृष्ण के जयकारों से वातावरण गुंजायमान हो उठा। पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से पुलिस कर्मी और आमजन भक्ति भाव में सराबोर नजर आए।
पुलिस लाइन कुशीनगर में जन्माष्टमी का आयोजन विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। यहां एसपी कुशीनगर संतोष मिश्रा ने स्वयं भक्ति गीतों पर झूमकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ा दी। उनके साथ पुलिस अधिकारी, जवान और उपस्थित लोग भी थिरकते नज़र आए। भक्ति संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से पूरा वातावरण आध्यात्मिक रंग में रंग गया।
मध्य रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। शंखध्वनि, घंटों की गूंज और “जय श्रीकृष्ण” के जयकारों से पूरा परिसर भक्तिमय हो उठा। भगवान श्रीकृष्ण की आरती कर शांति, सौहार्द और समृद्धि की मंगलकामना की गई।
इस ऐतिहासिक पहल की हर तरफ सराहना हो रही है। लोगों ने कहा कि वर्तमान एसपी संतोष मिश्रा में भारतीय संस्कृति के प्रति गर्व और सनातन धर्म के प्रति गहरी आस्था की झलक स्पष्ट दिखती है। तीन दशक बाद फिर से जन्माष्टमी पर्व के आयोजन ने पुलिस कर्मियों और जनपदवासियों में उत्साह और उल्लास का नया संचार कर दिया है।
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✍️ लोगों की प्रतिक्रिया
➡️ “तीन दशक बाद फिर से पुलिस थानों और लाइंस में जन्माष्टमी मनते देखना भावुक कर देने वाला पल है। एसपी साहब की पहल सराहनीय है।” – रामकृष्ण उपाध्याय, वरिष्ठ नागरिक
➡️ “इस आयोजन से पुलिस और जनता के बीच अपनापन और विश्वास का माहौल और मजबूत हुआ है।” – अनिता शुक्ला, सामाजिक कार्यकर्ता
➡️ “भक्ति गीतों पर एसपी साहब को झूमते देख सबका मन प्रसन्न हो गया। उनकी सादगी और आस्था प्रेरणादायक है।” – सौरभ सिंह, छात्र
➡️ “अब यह परंपरा हर वर्ष कायम रहेगी तो जिले में सांस्कृतिक और धार्मिक वातावरण और भी प्रफुल्लित होगा।” – पंडित हरिनारायण तिवारी, पुजारी