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सप्त दिवसीय यज्ञ में शिव विवाह व तारकासुर वध का प्रसंग का हुआ वर्णन

सुनील नीलम

Reported By:
Published on: Sep 9, 2023 | 6:58 PM
288 लोगों ने इस खबर को पढ़ा.

सप्त दिवसीय यज्ञ में शिव विवाह व तारकासुर वध का प्रसंग का हुआ वर्णन
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कुशीनगर: तमकुही विकास खंड के ग्राम पंचायत सेमरा हर्दोपट्टी में श्री हनुमान कथा कुंज राधेश्याम मंदिर परिसर मे़ आयोजित सात दिवसीय अखंड सीताराम नाम संकीर्तन व श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के प्रथम दिन गुरुवार की रात मध्यप्रदेश के चित्रकूट से पधारी कथावाचिका उमा शास्त्री व अयोध्या धाम से पधारे कथावाचक ज्ञानप्रकाश पांडेय ने श्रोताओं को शिव विवाह व तारकासुर वध का प्रसंग सुनाया।

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कथा में बताया गया कि पूर्व जन्म में महाराजा दक्ष की पुत्री के रूम में पार्वती ने जब यज्ञ में अपना शरीर समाप्त किया था तो वह अगले जन्म में हिमाचल राजा के घर पर पुत्री रूप में जन्म लेती है। किशोरावस्था में जब नारद जी राजा हिमालय के महल पहुंचते है तो राजा हिमाचल अपनी बेटी का हाथ दिखाते है तब नारदजी बताते हैं कि उनका विवाह भगवान शिव से ही होगा। इस पर पार्वती भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या करने बैठ जाती है। भगवान प्रसन्न होकर उनके वरण करने लिए बरात लेकर राजा हिमाचल के महल पहुंच जाते है। माता पार्वती बचपन से ही भगवान भोलेनाथ को चाहतीं थीं, इसलिए दोनों का विवाह हुआ। उनके विवाह के पहले से ही तारकासुर राक्षस का तीनों लोकों में अत्याचार था और उसका वध प्रभु भोलेनाथ व माता पार्वती के पुत्र से होना संभव था। इस निमित्त ही दोनों का विवाह पहले से तय था। विवाह के बाद पैदा हुए पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर राक्षस का वध कर संसार को निर्भय किया।

इस दौरान मुख्य आयोजक महंत बालक दास उर्फ श्याम दास जी महाराज,  यज्ञाचार्य अभिषेक शुक्ल, प्रधान अंगद रजक, प्रेम शंकर सिंह, राजू माली, परमहंस सिंह, उत्तीम राव, पीटर सिंह, हेमंत सिंह, जयराम प्रसाद, टोनी सिंह, प्रेम शंकर सिंह, महेश पाण्डेय आदि मौजूद रहे।

Topics: तमकुहीराज

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