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UP: चाचा देश के पूर्व उपराष्ट्रपति, दादा फ्रीडम फाइटर, नाना ब्रिगेडियर फिर मुख्तार अंसारी कैसे बन गया माफिया?

न्यूज अड्डा डेस्क

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Published on: Apr 7, 2021 | 1:15 PM
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UP: चाचा देश के पूर्व उपराष्ट्रपति, दादा फ्रीडम फाइटर, नाना ब्रिगेडियर फिर मुख्तार अंसारी कैसे बन गया माफिया?
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद करीब 14 घंटे के सफर के बाद सुबह करीब 4.30 बजे भारी सुरक्षा इंतजामों के बीच बाहुबली मुख्तार अंसारी का काफिला बांदा जेल पहुंच गया. सुबह करीब 4 बजाकर 26 मिनट पर बांदा जेल का दरवाजा खोल दिया गया. काफिले की बाकी गाड़ियां रूक गईं और मुख्तार अंसारी की एंबुलेंस दनदनाती हुई जेल में दाखिल हो गई. मंगलवार दोपहर 2 बजे पंजाब के रोपड़ से एंबुलेस में रवाना हुआ था मुख्तार अंसारी का काफिला. जो हरियाणा के रास्ते आगरा, इटावा और औरैया होते हुए बांदा जेल पहुंचा.

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मऊ से विधायक और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी (Don Mukhtar Ansari) आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है. क्राइम की दुनिया में उसकी तूती बोलती है. उसका रसूख भी किसी से छिपा हुआ नहीं है, शायह यही वजह है कि सरकारें आई और गईं लेकिन मुख्तार का कोई कुछ भी बिगाड़ नहीं सका. वह जेल में भी रहा तो शान से. मुख्तार के दबदबे का अंदाज उसके पारिवारिक (Mukhtar’s Family) रसूख से ही लगाया जा सकता है.

मुख्तार अंसारी के चाचा देश के पूर्व उपराष्ट्रपति, दादा स्वतंत्रता सेनानी थे और उसके नाना फौज में ब्रिगेडियर. रौबदार मूंछों वाला ये विधायक आज भले ही व्हील चेयर के सहारे हो. लेकिन मऊ और उसके आसपास के इलाके में मुख्तार अंसारी की तूती बोलती है. अंसारी की ठिकानों को जमींदोज किया जा रहा हो. लेकिन कभी वक्त था जब पूरा सूबा मुख्तार से कांपता था. बीजेपी को छोड़कर उत्तर प्रदेश की हर बड़ी पार्टी में शामिल रहा मुख्तार अंसारी पिछले 24 साल से लगातार यूपी की विधानसभा पहुंचता रहा.

1996 में BSP के टिकट पर जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचने वाले मुख़्तार अंसारी ने 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में भी मऊ से जीत हासिल की. इनमें से आखिरी 3 चुनाव उसने देश की अलग-अलग जेलों में बंद रहते हुए लड़े और जीते. राजनीति की ढाल ने मुख्तार को जुर्म की दुनिया का सबसे खरा चेहरा बना दिया और हर संगठित अपराध में उसकी जड़ें गहरी होती चली गईं.

सियासी अदावत से ही मुख्तार अंसारी का नाम बड़ा हुआ और वो साल था 2002 जिसने मुख्तार की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया. इसी साल बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय ने अंसारी परिवार के पास साल 1985 से रही गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट छी ली. कृष्णानंद राय विधायक के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और तीन साल बाद यानी साल 2005 में उनकी हत्या कर दी गई.

कृष्णानंद राय एक कार्यक्रम का उद्घाटन करके लौट रहे थे. तभी उनकी गाड़ी को चारों तरफ से घेर कर अंधाधुंध फायरिंग की गई. हमला ऐसी सड़क पर हुआ. जहां से गाड़ी को दाएं-बाएं मोड़ने का कोई रास्ता नहीं था. हमलावरों ने AK-47 से तकरीबन 500 गोलियां चलाईं और कृष्णानंद राय समेत गाड़ी में मौजूद सभी सातों लोग मारे गए. बाद में इस केस की जांच यूपी पुलिस से लेकर सीबीआई को दी गई. कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केस 2013 में गाजीपुर से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया. लेकिन गवाहों के मुकर जाने से ये मामला नतीजे पर न पहुंच सका.

दिल्ली की स्पेशल अदालत ने 2019 में फैसला सुनाते कहा कि अगर गवाहों को ट्रायल के दौरान विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम 2018 का लाभ मिलता तो नतीजा कुछ और हो सकता था. तो गवाहों का अकाल पड़ने से मुख्तार अंसारी जेल से छूट गया. मुख्तार भले ही जेल में रहा लेकिन उसका गैंग हमेशा सक्रिय रहा. लेकिन योगी सरकार आने के बाद उसके बुरे दिन शुरू हो गए.

मुख्तार अंसारी पर उत्तर प्रदेश में 52 केस दर्ज हैं. यूपी सरकार की कोशिश 15 केस में मुख्तार को जल्द सजा दिलाने की है. योगी सरकार अब तक अंसारी और उसके गैंग की 192 करोड़ से ज्यादा संपत्तियों को या तो ध्वस्त कर चुकी है या फिर जब्त. मुख्तार गैंग की अवैध और बेनामी संपत्तियों की लगातार पहचान की जा रही है. मुख्तार गैंग के अब तक 96 अभियुक्त गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जिनमें 75 गुर्गों पर गैंगेस्टर एक्ट में कार्रवाई हो चुकी है. कुल मिलाकर मुख्तार अंसारी योगी सरकार के टारगेट पर है. जिससे मुख्तार के परिवार को डर लग रहा है.

मुख्तार अंसारी भले ही आज उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध का चेहरा बन चुका हो. लेकिन गाजीपुर में उसके परिवार की पहचान प्रथम राजनीतिक परिवार की है. 15 साल से ज्यादा वक्त से जेल में बंद मुख़्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख़्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे. गांधी जी के साथ काम करते हुए उन्होंने वो 1926-27 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे. मुख़्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की लड़ाई में शहादत के लिए महावीर चक्र से नवाज़ा गया.

मुख्तार के पिता सुभानउल्ला अंसारी गाजीपुर में अपनी साफ सुधरी छवि के साथ राजनीति में सक्रिय रहे. भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख़्तार अंसारी के चाचा हैं. तो मुख्तार अंसारी की कहानी विरोधाभासों से भरी पड़ी है. जिसका अहम पड़ाव उसकी उत्तर प्रदेश वापसी से पूरा हो जाएगा.

Topics: अड्डा ब्रेकिंग

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