केंद्र की मोदी सरकार ने पिछड़ा वर्ग से सम्बन्धित 127 वां संविधान संशोधन विधेयक सोमवार को सदन में पेश किया. इस विधेयक को विपक्ष का भी समर्थन मिलता दिख रहा है. इसलिए इस विधेयक को पास कराने में सरकार को किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होगी. यह विधेयक राज्य सरकारों को अन्य पिछड़ा वर्ग में अन्य जातियों को शामिल करने का अधिकार देगा. वहीं, विधेयक के पेश होने के बाद उत्तर प्रदेश में भी ओबीसी आरक्षण पर कवायद शुरू हो गई है.
प्रदेश में ऐसी 39 जातियां हैं, जिन्हें ओबीसी में शामिल किया जा सकता है. इसी के तहत मंगलवार यानि आज उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की पहली बैठक होने जा रही है. मीडिया सूत्रों के मुताबिक, आयोग के पास कुल 70 प्रतिवेदन आए हैं, जिनमें से 39 जातियों के प्रतिवेदनों को मानकों के आधार पर विचार करने के लिए चयनित किया गया है.
यूपी में इस समय ओबीसी की सूची में 79 जातियां शामिल हैं. कुछ अन्य जातियों का सर्वे कराया जाना अभी बाकी है. ऐसा माना जा रहा है कि सर्वे पूरा होने के बाद इन जातियों को ओबीसी में शामिल किया जाए या नहीं, इस पर निर्णय होगा. आयोग ओबीसी में नई जातियों को शामिल करने की संस्तुति कर प्रस्ताव प्रदेश सरकार के पास भेजेगा. पहले भी उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की संस्तुति पर ही प्रदेश सरकार किसी जाति को ओबीसी में शामिल करती थी.
बता दें, उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. साल 2017 में भाजपा को यादव को छोड़कर अन्य पिछड़ी जातियों का भरपूर साथ मिला था, लेकिन इस बार सपा और बसपा दोनों की नजर पिछड़ा वर्ग पर है. अखिलेश यादव जहां पिछड़ा वर्ग सम्मेलन कर ओबीसी मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं तो वहीं मायावती ने ओबीसी जनगणना की मांग कर अपने इरादे जाहिर कर दिए.
ऐसे में अगर ओबीसी मतदाता भाजपा से छिटकता है तो सूबे की सत्ता में दोबारा से वापसी का बीजेपी का सपना टूट सकता है. इसलिए भाजपा हर हाल में ओबीसी को अपने पाले में बरकरार रखना चाहती है.
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