Reported By: Farendra Pandey
Published on: Mar 16, 2021 | 5:54 PM
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कप्तानगंज/कुशीनगर | नगर की साहित्यिक, सामाजिक व सांस्कृतिक संस्था प्रभात साहित्य सेवा समिति की 339 वीं मासिक काव्य गोष्ठी कवि विनोद गुप्ता के आवास पर सोमवार की शाम प.उमाशंकर मिश्र की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। मुख्य अतिथि नगर पंचायत प्रतिनिधि शिवशंकर अग्रहरि व विशिष्ठ अतिथि शिक्षक संजय गुप्ता रहे । संचालन किया इंद्रजीत इंद्र ने।
काव्य गोष्ठी का शुभारंभ माँ शारदे के चित्र पर अतिथियों द्वारा पुष्पार्चन व धूप अगरबत्ती जला कर किया गया।माँ शारदे की वंदना बलराम राय ने प्रस्तुत किया। तदोउपरांत इन्होंने यह रचना सुनाया-
“होली में देहिंया रँगाइल भौजी…”
इसके बाद युवा कवि अंशदीप गुप्त पीयूष ने खूब सुनाया-” दोस्ती टूट ना जाय, इस लिए बेवकूफ दिखता हूं।” कवि मोहम्मद अफसर ने यह सुनाया-
“वो नज्में ही क्या वो गजलें ही क्या, जिसमें तेरी चाहत न हो।” कवि आनन्द कृष्ण त्रिपाठी की यह रचना खूब सराही गई-“उषा नाचे पहिन चुनरी लाल हो…” कवि इम्तियाज समर -“रुठ जाती है जितना मनाता हूं मैं…”वहीं शायर अर्शी बस्तवी ने यह सुनाया-“जो कल थे दोस्त वो दुश्मन हैं आज..” कवि बेचू बी ए ने यह गीत सुना कर गोष्ठी को ऊँचाई दिया-“वो मन के मतवाले पंछी , मन महकाओ ना..”
मधुसूधन पांडेय जय जय श्री कृष्ण ने खूब सुनाया-“अबकी होरिया में खेलबे तोहरे संगवा पिया..” अमजद अली ने यह सुनाया-” धरती बाटी सागर बाटा …” शायर नुरुद्दीन नूर की ग़ज़ल पर श्रोताओं ने खूब तालियां बजाई।”शिकवा तो मुहब्बत के भरोसे पे किया था।” मेजबान विनोद गुप्ता ने यह सुनाया-“ये खुदा रखना इसे महफूज हर दुख दर्द से।”इम्तेयाज़ लक्ष्मीपुरी ने यह सुनाया-“खेले रंग गुलाल श्याम चले बरसाने..”बेनिगोपाल शर्मा “धुन आजादी की सुना के जानें कहां गए?” कवि आनंद अनुज ने यह सुनाया -” प्यार के गीत ग़ज़ल लाया हूं..” संचालन कर रहे इंद्रजीत इंद्र ने यह सुनाया-“दुनों हउहें देसवा के सान मोर बिरना..”
अंत में अध्यक्ष उमाशंकर मिश्र ने यह सुनाया-“मैं आप के दिल में रहना चाहता हूं..”
आखिर में चीफ गेस्ट अग्रहरी व मेजबान ने होली की शुभकामनाएं देते हुए सबका आभार व्यक्त किया।
Topics: कप्तानगंज