Reported By: Omprakash Dwivedi
Published on: Aug 27, 2020 | 4:39 PM
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पालघर। जिले के कासा पुलिस स्टेशन क्षेत्र में साधुओं की निर्मम हत्या के सौ दिन बाद भी इंसाफ नही मिलने से लोगों का भरोसा सीआईडी की जांच से उठने लगा है। क्योंकि हाल फिलहाल इस मामले में डहाणू कोर्ट में पुख्ता चार्जशीट पेश नही किये जाने के कारण अदालत ने घटना से जुड़े 28 आरोपियों को बरी कर दिया।
राष्ट्रीय विद्वत परिषद नई दिल्ली की ओर से मुंबई उच्च न्यायालय में साधुओं की निर्मम हत्या की पैरवी व इंसाफ की लड़ाई लड़ने के लिए नियुक्त किये गये पैरोकार मुंबई हाईकोर्ट के अधिवक्ता आशुतोष जे.दुबे कहते है कि धीमी गति से चल रही जांच और सीआईडी से इंसाफ का भरोसा नही रहा। अब जल्दी ही उनके द्वारा मुंबई उच्च न्यायालय में पीआईएल दाखिल करते हुए समुचित न्याय के लिए सीबीआई से जांच की मांग इंसाफ की लड़ाई के लिए करोड़ों लोगों की चाहत बन गयी है।
ज्ञात रहे कि 16 अप्रैल की रात कासा पुलिस स्टेशन क्षेत्र में स्थानीय पुलिस के सामने सैकड़ों आतातायियों ने लाठी डंडों से पीट पीटकर दो साधुओं समेत उनके वाहन चालक की हत्या कर दी थीं। मामले की जा़ंच करती पालघर पुलिस ने कार्यवाही के दौरान लगभग डेढ़ सौ लोगों को हिरासत में लिया था।बाद में जांच की जिम्मा सीआईडी को महाराष्ट्र सरकार की ओर से सौप दी गयी थी। लेकिन 100 दिन बाद भी न्याय की आस में करोड़ों लोगों की टकटकी लगी हुई है।
राष्ट्रीय विद्वत परिषद नई दिल्ली की ओर से मुंबई उच्च न्यायालय में पैरवी की जिम्मेदारी संभाल रहे हाईकोर्ट के अधिवक्ता आशुतोष जे.दुबे ने मायानगरी मुंबई के उभरते सितारे सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या की सीबीआई से जांच कराये जाने की केंद्र सरकार की मंशा को धन्यवाद देते पालघर साधुओं के निर्मम हत्या की जा़ंच भी सीबीआई को सौपने की देश की जनमानस की मंशा पर अवलोकन करते हुए कारवाई का आग्रह किया है।
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