Reported By: Sanjay Pandey
Published on: Apr 10, 2021 | 6:49 PM
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खड्डा/कुशीनगर। डीएम के निर्देश पर तहसील क्षेत्र के नदी के पार के बाढ़ प्रभावित गांवो के लोगों को बाढ़ के समय सुरक्षित बाढ़ आश्रय स्थल व सम्पर्क मार्ग निर्माण को लेकर कवायद तेज हो गई है। शनिवार को एसडीएम की अगुवाई में बाढ़खंड के अभियंताओं की टीम ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का सर्वे व स्थलीय निरीक्षण किया।
खड्डा तहसील क्षेत्र के गंडक नदी पार बसे ग्राम नारायनपुर, बकुलादह, हरिहरपुर, मरिचहवा, बसंतपुर, शिवपुर आदि गांवों की लगभग तमाम आबादी हर साल बाढ़ के समय पानी में घिर जाती है, बाढ़ के समय लोगों को ऊंचे स्थान पर शरण लेना पड़ता है। उसके लिए जान जोखिम में डालकर सोहगीबरवा नांव से जाना पड़ता है। पिछले महीने जिलाधिकारी एस.राजलिंगम ने रेताक्षेत्र का दौरा कर एसडीएम अरविंद कुमार से बाढ़ के समय के हालात की जानकारी ली। इसी क्रम में बाढ़ खंड के अभियंताओं की टीम से सर्वे करा नदीपार के लोगों के आवागमन के लिए सुविधाजनक सड़क व एक अस्थाई सामुदायिक भवन स्थल जिसमें बाढ़ के समय लोग गांव में ही ऊंचे स्थान पर बनें स्थल जिसपर पानी, शौचालय सहित अन्य जरूरी संसाधन उपलब्ध हो, उसपर शरण लें सके और पानी उतर जाने के बाद वह अपने घरों को सुरक्षित जा सकें। इसकी रूपरेखा तैयार करने की कवायद शुरू हो गई है। एसडीएम अरविंद कुमार के साथ बाढ़ खंड के सहायक अभियंता राजेंद्र पासवान व थानाध्यक्ष खड्डा आरके यादव, हलका इंचार्ज जीतबहादुर यादव व राजस्व टीम के पी. सी गुप्ता, धीरज शुक्ला, पवन वर्मा, करूणाकरन चौरसिया, अभिमन्यु मणि आदि ने मरिचहवा, हरिहरपुर, शिवपुर में जमीन चयनित करते हुए रिपोर्ट तैयार की। ग्रामीणों ने कठवासी नाले में नदी के पानी को रोकने, ध्वस्त पुल व पुलियों की मरम्मत कर गांव के सम्पर्क मार्गों को सुव्यवस्थित करने की मांग उठाई। एसडीएम अरविंद कुमार ने रेताक्षेत्र के भ्रमण के बाद वाल्मीकि नगर गंडक बैराज पहुंच कर उप कार्यपालक अभियंता विकास कुमार से बैराज से नहरों में पानी छोड़ने और मरम्मत कार्य की जानकारी ली। अभियंता ने बताया कि खराब तीन फाटकों को बदल दिया गया है। इस वर्ष बाढ़ पूर्व सभी तैयारियां चल रही है। यूपी की ओर से पानी की मांग होने पर पानी छोड़ा जायेगा। एसडीएम ने बाढ़ के समय सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए दूरभाष नम्बर का आदान प्रदान किया। एसडीएम ने बैराज के कंट्रोल रूम के अंदर सभी जानकारी ली और तकनीकी जानकारी हासिल की। सबकुछ ठीक रहा तो बाढ़ प्रभावित इलाकों के लिए यह प्रयास काफी सहूलियत प्रदान करेगा।
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