कुशीनगर। कर्म अच्छा होने के लिए व्यक्ति का चरित्र उत्तम होना चाहिए, और चरित्र उत्तम तभी होगा जब हम प्रभु श्रीराम के चरित्र को अपने जीवन में अनुसरण करें।
उक्त विचार श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष एवं श्री मणिराम छावनी के पीठाधीश्वर स्वामी महन्थ श्री नृत्यगोपाल दास की शिष्या कथा वाचिका दीदी स्मिता वत्स ने कहीं। दीदी स्मिता वत्स सनातन संस्कृति शिक्षा अभियान (चरित्र निर्माण) के क्रम में कुशीनगर जनपद में श्रीराम परिवार का विस्तार कर उन परिवारों में श्रीराम चरित्र मानस की पुस्तक भेंट कर उन्हें उसका अध्ययन करने, परिवार के सदस्यों के साथ प्रभु श्रीराम के चरित्र पर प्रतिदिन चर्चा कर उसे अंगीकार कर अपने जीवन मे उतारने का आग्रह कर रही है।

दीदी स्मिता वत्स ने कहा कि हमारा समाज आगे तो बढ़ रहा, सुख सुविधाएं भी है, लेकिन इसी बीच भारत वर्ष जैसे देश में बृद्धा आश्रम का विस्तार हमें शर्मसार करते हुए सनातन धर्म व चरित्र को कमजोर कर रहा है। उन्होंने कहा कि एक राम जी थे जो अपने माता पिता के मान को रखने के लिये वन को चले गये। लेकिन आज समाज प्रधान इस देश में लोग अपने माता पिता को ही बृद्धा आश्रम छोड़ सनातन संस्कृति को चोट पहुँचा रहें है। हमारा विकास हमारे चरित्र पर निर्भर करता है। व्यक्ति सदियों तक तभी याद किया जाएगा, जब उसका चरित्र उत्तम होगा। ऐसे में सनातन धर्म और संस्कृति के रक्षा के लिए चरित्र का निर्माण आवश्यक है, जो आज के युवा पीढ़ी में देखने को कम मिल रही है। देश में दुराचार, हत्या, डकैती, लूट, धोखा आरोप प्रत्यारोप इन सबके पीछे सिर्फ चारित्रिक दोष ही है।

दीदी स्मिता वत्स अपने पूज्य गुरुदेव से प्रेरणा लेकर अब तक तरह हजार छः सौ श्रीराम चरित्र मानस की पुस्तक वितरण कर चुकी है। उन्होंने इसे निरन्तर जारी रखने की बात कहीं।
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