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हाटा: श्रीनाथ संस्कृत महाविद्यालय का 96-वा स्थापना दिवस मनाया गया!

Ved Prakash Mishra

Reported By:
Published on: Dec 19, 2020 | 3:45 PM
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हाटा: श्रीनाथ संस्कृत महाविद्यालय का 96-वा स्थापना दिवस मनाया गया!
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  • समर्पण के बिना संस्थान का उत्थान संभव नहीं: जगदीश
  • शान्ति व संतुष्टि के लिए संस्कृत की भूमिका अहम:प्रो़ जयप्रकाश

हाटा/कुशीनगर | कोई भी संस्था तभी उत्थान कर सकती है जब उस संस्था को चलाने वाले उसके प्रति समर्पित होंगे। प्राय: यह देखने को मिलता है कि अच्छे उद्देश्य को ध्यान न रख स्थापित की गई संस्थाएं इसके अभाव में अपने उद्देश्य की प्राप्ति के बिना ही समाप्त हो गई हैं। इसके प्राप्ति के लिए ईमानदारी  के साथ उसके प्रति समर्पण जरुरी है।
उक्त बातें शनिवार को नगर स्थित श्रीनाथ संस्कृत महाविद्यालय के 96 वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह को मुख्य वक्ता संबोधित करते हुए माध्यमिक शिक्षक संघ के शिक्षक नेता जगदीश पाण्डेय ने कही। उन्होंने कहा कि यह महाविद्यालय अपने प्रबन्ध समिति के ईमानदारी और इसके प्रति समर्पण के दम पर अपने उद्देश्य में सफलता प्राप्त कर रहा है। संस्कृत के उत्थान के प्रति यह जिस तरह से अग्रसर है यह काबिले तारीफ है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  पूर्व निदेशक द्वारिकाधीश संस्कृत एकेडमी द्वारका गुजरात प्रो़ जयप्रकाश नारायण द्विवेदी ने कहा कि विश्व भौतिकता वाद के कारण तेजी से अंधकार की तरफ बढ़ता जा रहा है। चारो तरफ अशान्ति फैलती जा रही है। इसके कारण कब उसका अस्तित्व समाप्त हो जाय कुछ कहा नहीं जा सकता है। इससे बचने का एकमात्र उपाय शान्ति व संतुष्टि है जो हमे संस्कृत से प्राप्त हो सकती है। ऐसे में शान्ति व संतुष्टि के लिए संस्कृत भूमिका अहम है। उन्होंने कहा कि ज्ञान  मनुष्य को उत्पादक बनाता है तथा संतुष्ति प्रदान करता है। भौतिक दिक्कतों को ज्ञान के माध्यम से ही समाप्त किया जा सकता है। व्यक्ति को ज्ञान विद्या व अविद्या से प्राप्त होते हैं। विद्या हमें सत्य की तरफ अग्रसर करती है वही अविद्या भय की तरफ ले जाती है और हमें अंधकार में ढकेल देती है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति की रक्षा तभी हो पायेगी जब हम संस्कृत को अपनायेंगे। समाज मानवीय मूल्यों से भाग रहा है। इससे मूल्य तेजी से गिर रहा है और भारतीय संस्कृति का क्षरण हो रहा है। पाश्चात्य सभ्यता को समाज तेजी से अपनाते हुए अपनी संस्कृति को भूलता जा रहा है। भारतीय संस्कृति तभी मजबूती से स्थापित हो पायेगी जब संस्कृत को अपनायेंगे। संस्कृत भारतीय संस्कृति की पोषक है। समारोह को बुद्ध स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राध्यापक डा़ सौरभ द्विवेदी व डाक्टर गौरव तिवारी ने भी संबोधित किया। समारोह की अध्यक्षता भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष तारा प्रसाद सिंह ने की।आगन्तुकों का स्वागत प्रबन्ध समिति के मंत्री गंगेश्वर पाण्डेय ने की तथा आगन्तुकों के प्रति आभार प्रबन्ध समिति के प्रबन्धक अग्निवेश मणि ने व्यक्त किया। समारोह के दौरान डा़ अविनाश राय की तरफ से महाविद्यालय के छात्र छात्राओं को स्वेटर व ट्रैक शूट दिया गया।
इस दौरान महाविद्यालय के अध्यक्ष जयप्रकाश पाण्डेय,जोखन प्रसाद बर्नवाल, सभासद प्रतिनिधि मनीष रूगटा, दिलीप जायसवाल, शैलेश मिश्र, शारदा प्रसाद सिंह, नागेश्वर पति त्रिपाठी,अनिल उपाध्याय, छट्ठू यादव, मिथिलेश तिवारी, प्राचार्य डा राजेश कुमार चतुर्वेदी, संजय कुमार पाण्डेय, पूर्व प्राचार्य डा रामसुबास पाण्डेय, विनय मणि,कालिका दूबे,रामानुज दिवेदी,अभय त्रिपाठी, आदि उपस्थित रहे।संचालन मोहन पाण्डेय ने किया।

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Topics: हाटा

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