Reported By: Surendra nath Dwivedi
Published on: Mar 21, 2021 | 6:56 PM
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कुशीनगर । जी यह सही है,पंचायत चुनाव के तिथि की अभी घोषणा तो नही हुई, लेकिन आरक्षण सूची जारी होते ही कई धुरेन्द्र चारो खाने चीत हो गये। अब वह शतरंज की चाल मे मशगूल हो गये है,तो कोई अभी भी अपनी किस्मत आपत्ति के पाले में डाल विश्वास जमाये हुये है। गाँव की सरकार-प्रधान, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत सदस्य पद पर जीत के लिए महीनों से तैयार किए गए चक्रव्यूह जंग शुरू होने से पहले ही टूट गए। जिन लोगों ने व्यूह को अभेद बनाए रखने की योजना बनाई थीं या जिन्होंने हर हाल में व्यूह को भेदने की तरकीबें तलाश रखी थी, वे देखते रह गए। सशक्त ‘हथियार’ आरक्षण ने बिना किसी शोर-शराबे के व्यूह के हर फाटक को तोड़ दिया। गंवई सरकार पर वर्षों से काबिज कुछ जनप्रतिनिधियों के पांव में आरक्षण ने ऐसी बेड़ियां डाल दी कि अब वे इस चुनावी समर में खुद उतर ही नहीं पाएंगे। यही वजह है कि गंवई सरकार पर प्रत्यक्ष न सही अप्रत्यक्ष रूप से ही काबिज रहने की मंशा पाल रखे कुछ दावेदार अब नए सिरे से व्यूह रचना शुरू कर दिये है। खुद मैदान में नहीं उतरेंगे, लेकिन हर तीर चलाएंगे ताकि उनका ‘अपना’ मैदान मार ले।
क्षेत्र की कई ऐसे ग्राम प्रधान-क्षेत्र पंचायत या जिला पंचायत सदस्य पद रहे हैं जिन पर वर्षों से कुछ ने कब्जा जमा रखा था। चुनाव कोई भी रहा, चाल कैसी भी चलनी पड़ी लेकिन गंवई सरकार की बागडोर उन्होंने ही अपने हाथों में थामे रखी। वर्ष 2021 के आसन्न पंचायत चुनाव में भी जीत हासिल करने के लिए इन लोगों ने महीनों पहले फिल्डिंग शुरू कर दी थी। चुनाव जीतने के लिए गांवों में मनमुताबिक खेमे तैयार कर लिए थे। इसके लिए साम-दाम-भेद-दंड हर नीति लगा ली थी। कई तो आश्वस्त हो गए थे कि इस बार जीत उन्हीं की होगी। उनकी जीत का अंतर इतना अधिक होगा कि विरोधी उनके नजदीक नहीं फटक पाएंगे। खेमे की डोर मजबूत बनाए रखने के लिए महीनों पहले से दावतों का दौर चल रहा था। कुछ ने चुनाव के बाद मतदाताओं को अपने खर्चे से धार्मिक स्थलों को घुमाने का भरोसा दिला रखा था तो किसी ने शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने में उनका नम्बर तय कर डाला था।
आरक्षण ने इनका खेल बिगाड़ दिया। अब वे मैदान से ही बाहर हो गए, पर इन्होंने हार नहीं मानी है। गंवई सरकार पर काबिज रहने के लिए आरक्षण वर्ग के अपने करीबी को मैदान में उतारने का फैसला कर डाला हैं। उसे जीत दिलाने के लिए किस खेमे को मिलाना है और किस खेमे से दूरी बनानी है, अब नए सिरे से व्यूह रचना शुरू कर दी है। हालांकि यह चाल कहीं-कहीं उल्टी पड़ रही है। वर्षों से साथ चल रहे लोग उनकी वेवफाई की वजह से उनसे दूरियां बनाने लगे हैं, जिसकी वजह से उनकी ताकत कमजोर पड़ने लगी है, पर उन्होंने तो मान लिया है। यह ठान लिया है….गवंई सरकार में दखल रखेंगे। यही है कि वे ‘मुखिया’ उसे बनाना चाहते हैं जो उनका अपना रहे। उनके इशारे पर ही ‘मुहर’ उठाए और रखे।
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