Reported By: न्यूज अड्डा कसया and न्यूज अड्डा डेस्क
Published on: Dec 15, 2021 | 8:11 AM
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कसया/कुशीनगर। स्वाद व सुगन्ध में विशिष्ट स्थान रखने वाले कालानमक चावल की खुशबू से पूर्वांचल फिर महकेगा। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा इन दिनों इस चावल की उत्पादकता बढ़ाने के लिए अनुसन्धान कार्य में जुटा है। संस्थान की कोशिश है कि इस चावल की परम्परागत प्रजाति में सुधार कर उत्तम प्रजातियां विकसित की जाएं जो कम समय में पककर तैयार हो और प्रतिकूल मौसम का सामना कर सके। पूर्वांचल के जिलों में प्रक्षेत्र अनुसन्धान केंद्र भी स्थापित कर शोध को आगे बढ़ाया जा रहा है।
कुशीनगर जनपद के सखवनिया के मूल निवासी और पूसा संस्थान में कृषि वैज्ञानिक डॉ. वैभव कुमार सिंह इस अनुसन्धान कार्य के नोडल अफसर नियुक्त किए गए हैं। बुधवार को यहां आए डॉ. वैभव ने बताया कि वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. ए के सिंह के नेतृत्व में इस चावल पर अनुसन्धान चल रहा है। गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, फैजाबाद, गोंडा, सिद्धार्थनगर, महराजगंज में प्रक्षेत्र अनुसन्धान हो रहा है। डॉ. वैभव ने बताया कि इस चावल की परम्परागत प्रजाति दोष जनित है। जिसमे सुधार के कार्य हो रहे हैं। दरअसल इसके बड़े पौधे मौसम की मार सह नही पाते और पकने में ज्यादा समय लेते है। जिससे किसान इसकी खेती से विमुख होते जा रहे हैं। अनुसन्धान पर ज्यादा जोर इसी बात पर है कि इसके पौधे मौसम की मार सह सके और कम समय में फसल पके। डॉ. वैभव ने बताया कि अनुसन्धान के बाद इस चावल की जो नए बीज आयेंगे उससे उत्पादकता बढ़ेगी साथ ही फसल के पकने में समय कम लगेगा। उल्लेखनीय है कि बौद्ध भिक्षुओं में इस चावल का विशिष्ट स्थान है।
20 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुशीनगर में बौद्ध अनुयाइयों को चावल महाप्रसाद के रूप में वितरित किया था। प्रदेश सरकार इस चावल के संरक्षण के लिए सिद्धार्थनगर जनपद में वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत कार्य कर रही है।
Topics: अड्डा ब्रेकिंग कसया