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यूपी 112 पर भोजपुरी, अवधी, ब्रज, बुन्देली समेत कई क्षेत्रीय भाषाओं में भी शिकायत बता सकेंगे पीड़ित!

न्यूज अड्डा डेस्क

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Published on: Oct 23, 2020 | 9:44 AM
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यूपी 112 पर भोजपुरी, अवधी, ब्रज, बुन्देली समेत कई क्षेत्रीय भाषाओं में भी शिकायत बता सकेंगे पीड़ित!
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने यूपी 112 में एक और बड़ा बदला कर दिया है। अब शिकायतकर्ता को शिकायत करते समय उसकी ही क्षेत्रीय भाषा में सेवा मिलेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर यह कदम उठाया गया है ताकि परस्पर संवाद की प्रक्रिया को और बेहतर किया जा सके। अपर मुख्य सचिव, गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि यह संवाद भोजपुरी, अवधी, ब्रज, बुन्देली आदि उसी क्षेत्रीय भाषा में भी किया जायेगा जिसका उपयोग संवादकर्ता द्वारा किया जायेगा। अलग-अलग क्षेत्रीय भाषाओं में उत्तर देने के लिए उसी क्षेत्र के संवाद अधिकारियों को 112-यूपी के अधिकारियों द्वारा चुना गया है। उनहोंने बताया कि इस प्रकार 112-यूपी पर मिलने वाली सूचनाओं पर प्राथमिकता से त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने की व्यवस्था को और अधिक बेहतर बनाने का प्रयास किया गया है।

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अपर पुलिस महानिदेशक, 112-यूपी असीम अरूण ने बताया कि क्षेत्रीय भाषाओं में लोगों से संवाद करने के लिए आपातकालीन सेवा में संवाद अधिकारियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है। क्षेत्रीय भाषाओं में पारंगत संवाद अधिकारियों की नियुक्ति से ग्रामीण अंचल से सहायता के लिए कॉल करने वाले लोगों खास कर महिलाओं को अपनी बात बताने में काफी सुविधा होगी।

अरूण ने बताया कि 112-यूपी में प्रतिदिन 15-17 हजार लोग काल कर पुलिस की सहायता मांगते हैं। इनमे क्षेत्रीय भाषाओं में मदद मांगने वाले लोगों की संख्या काफी होती है। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं अपनी क्षेत्रीय भाषा में ही समस्या बताने में सहज महसूस करती हैं। उनकी बातों का जवाब भी जब उनकी ही भाषा में 112 की ओर से दिया जायेगा तो शिकायतकर्ता में पुलिस के प्रति अपनेपन का भी आभास होगा। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश काफी बड़ा होने के कारण यहां कई तरह की क्षेत्रीय भाषाओं का चलन है। ऐसे में सहायता मांगने के लिए कॉल करने वाले ग्रामीण अंचल के लोग अधिकतर अपनी क्षेत्रीय भाषा में ही संवाद करने में सहज महसूस करते हैं।

क्षेत्रीय भाषा में कॉल करने वाले लोगों को 112-यूपी में अपनी बात समझाने में किसी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े इस बात को ध्यान में रखते हुए हर क्षेत्रीय भाषा की डेस्क पर उसी क्षेत्र की संवाद अधिकारी को तैनात किया गया है। मदद मांगने वाले जिस भाषा में बात करना चाहते हैं, उनकी कॉल को उसी भाषा की डेस्क पर स्थानांतरित कर दिया जाता है।

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