हाटा/कुशीनगर । मोतीचक विकास खण्ड के ग्राम पंचायत खोखिया मे आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिवस कथाबाचक पं.रामशंकर दास शास्त्री ने श्रद्धालुओं को कथा श्रवण कराते हुए कालिया मर्दन,गोवर्धन पूजा,कंश वध तथा महारास का दिव्य वर्णन किया।
उन्होंने कहा कि जब कंश ने बहुत प्रकार से कृष्ण को मारने का प्रयास कर लिया और मार नहीं पाया। तब अक्रूर के माध्यम से उसने श्रीकृष्ण और बलराम को मथुरा बुला लिया। मथुरा में पहुंचकर के भगवान ने वहां पर कंश का वध करके अपने माता पिता से मिले हैं। संदीपनी गुरु के आश्रम में पहुंचकर के वहां पर यज्ञोपवीत संस्कार एवं विद्या का अध्ययन किया। जरासंध ने अठ्ठारहवीं बार कालयवन के द्वारा भगवान पर आक्रमण कराया। भगवान रणछोड़ बनकर भाग चले,रातों-रात द्वारिका पहुंचे हैं। जहां पर द्वारिकाधीश बन करके विराजित हुए। विदर्भ नरेश भीष्मक के कन्या रुकमिणी से भगवान का प्रथम विवाह संपन्न हुआ। रुकमिणी मैया का भाई रुक्मी चाहता था कि मैं अपनी बहन का विवाह शिशुपाल से करूं,लेकिन मैया को पता था कि शिशुपाल दुष्ट राक्षस है। तथा वह कहतीं थी कि शिशुपाल के साथ मेरा विवाह होगा तो मैं आत्महत्या कर लूंगी। रुकमिणी मैया ने पत्र लिखकर के भगवान को सूचना दिया और भगवान नें रुकमिणी का अपहरण करके द्वारिका में ला करके उनके साथ अपना विवाह संपन्न किया।
इस अवसर पर मुख्य यजमान नागेन्द्र शुक्ल और असरफा शुक्ला,उत्तम शुक्ल तथा भगवती दीक्षित, जयनाथ तिवारी, जयराम पांडेय,प्रमोद शुक्ल, मारकंडेय, दीपनारायण तिवारी,अजीत शुक्ल (राजन), पंकज,रितेश, सच्चिदानंद,अखिलानंद, मधुसूदन, सुधा शुक्ला रुकमिणी पूजा,प्रवीना,अमरनाथ सिंह, राजन यादव सहित सैकड़ों श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।
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