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नाम को भजकर ही भगवान की प्राप्ति सम्भव एवं अच्छरों की मूर्ति के रूप में भगवान श्रीमद भागवत में विराजमान- अतुल कृष्ण भारद्वाज

Surendra nath Dwivedi

Reported By:
Published on: Jan 20, 2022 | 4:51 PM
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नाम को भजकर ही भगवान की प्राप्ति सम्भव एवं अच्छरों की मूर्ति के रूप में भगवान श्रीमद भागवत में विराजमान- अतुल कृष्ण भारद्वाज
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कुशीनगर । जनपद के तरयासुजान थाना के सीमावर्ती क्षेत्र मठिया श्रीराम में गुरुवार से प्रारंभ हुआ श्रीमद्भागवत कथा के आज पहले दिन प्रख्यात श्रीमद्भागवत कथा वाचक श्री अतुल कृष्ण भारद्वाज जी महाराज ने कथा प्रेमियों को रसपान कराया।

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कथा व्यास पूज्य श्री अतुल कृष्ण भारद्वाज जी महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा की सरल एवं सरस अविरल भक्ति ज्ञान-वैराग्य तत्व एवं अध्यात्म के समन्वित स्वरूप महर्षि वेदव्यास जी द्वारा रचित श्रीमद भागवत कथा का रसपान कराकर स्रोताओं को मन्त्र मुग्ध किया। कथा व्यास ने कहा है कि श्रीमद् भागवत कथा हमारी जीवन पद्धति की सभी समस्याओं का निदान है, जिसके श्रवण कर अपने जीवन पर उतार कर प्रबन्धन को उचित मार्ग मिल सकता है। गोकर्ण प्रसंग पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि कथा को हृदय से सुनकर-मनन कर अपने जीवन में ग्रहण करने से इस भवसागर से पार हो सकते हैं। व्यास जी ने बताया कि ज्ञान रूपी दीपक प्रत्येक व्यक्ति में विराजमान है, परन्तु वह व्यक्ति के जीवन में प्रखर रूप में विकास हेतु भागवत कथा ज्ञान के श्रवण से ही प्राप्त होता हैं और उसे व्यक्ति अपने जीवन में अखण्ड प्रज्वलित रख सकता है।

इस कलयुग के झंझावात उस ज्ञान रूपी दीपक को बुझाने की पूरी कोशिश करते रहते हैं, लेकिन में की नाम ही पर्याप्त है। प्रभु के नाम को भजकर ही भक्त कलयुग में प्रभु प्रहलाद, बालक ध्रुव, मीराबाई, सन्त रविदास, कबीरदास, चैतन्य महाप्रभु सभी इस भवसागर से पार हो गए। आज नाम महिमा के कारण ही लाखों अंग्रेज वैष्णव हो गए। विश्व के प्रसिद्ध फिल्म निर्माता स्टीफन स्पील वर्ग, जूलिया राबर्टस प्रसिद्ध अभिनेत्री, लन्दन के उद्योगपति फोर्ड इत्यादि सभी हिन्दू धर्म स्वीकार कर वैष्णव हा गए आगे कथा व्यास जी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण से अन्तिम समय उद्धव ने प्रश्न किया कि प्रभु आप इस संसार से जा रहे हैं, तो हम भक्तगण आपका दर्शन कब, किस रूप में और कहाँ प्राप्त कर सकते हैं? प्रभु श्रीकृष्ण ने कहा कि मेरा दर्शन मेरे नाम, मेरे धाम एवं मेरे ग्रन्थ में कर सकते हैं, जैसे आप सोने, चांदी लकड़ी एव मिटट्टी की मूर्ति में दर्शन करते हैं, उसी तरह अच्छरों के रूप में हम अपने ग्रन्थ श्रीमद् भागवत एवं श्री मानस में विराजमान रहेगें, जो आज विश्व में सर्वाधिक कथा के रूप में विराजमान है।

कथा के मुख्य यजमान ने वेद ब्यास जी का आरती उतरे। स्मरण हो कि तरयासुजान थाना क्षेत्र के पूर्वी सीमा पर बसा मठिया श्रीराम में पूज्य महराज जी द्वारा 26 जनवरी तक कथा प्रेमियों को श्रीमद्भागवत कथा की रसपान कराया जयेगा।

Topics: तरयासुजान

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