कसया/कुशीनगर । समन्वयक भारत – तिंब्बत संवाद मंच जिग्मे त्सुल्ट्रीम ने बुद्ध स्थली कुशीनगर स्थित तिब्बत मन्दिर में कहा कि तिब्बत की अपनी भाषा, संस्कृति धर्म रही है और हम उसी अनुरुप अपनी संस्कृति को बचाए हुए हैं। यूरोप में एक ही भाषा बोलने वाले चार पांच देश मिलेंगे। चीन के चलते ताइवान, हांगकांग व उईगुर की जनता जिन्हें आजादी नहीं है। तिब्बत हजारों सालों से एक स्वतंत्र राष्ट्र रहा है। चीन की साम्राज्यवादी नीति के दबाब में वर्ष 1959 में दलाई लामा के साथ 80 हजार तिब्बतियों ने भारत मे शरण ली थी और तिब्बत में हुए नरसंहार में 12 लाख लोग मारे गए थे। छः हजार मठों का विनाश कर दिया गया था। ऐसी हालत में भारत ने साथ दिया। हमारे साथ भारत की संवेदनशीलता हमारे साथ रही और उनका कर्म हमारे साथ है। देश मे 46 बुनियादी सुविधाओं से युक्त कालोनियां व 50 से अधिक शिक्षण केंद्र साकार हैं। हाल के दिनों में तिब्बत का मसला उभर रहा है। आज भारत सहित पूरे अंतरराष्ट्रीय जगत का समर्थन मिलना आवश्यक है। कल की अनिश्चितता को ध्यान में रखते हुए भविष्य की सोंच कैसी हो इसपर ध्यान केंद्रित करना है। हम केवल व केवल अपने गुरु दलाई लामा पर निर्भर हैं। सत्य हमारे साथ है, सत्य की जीत होगी और तिब्बत आजाद होगा यह हम तिब्बतियों को पूर्ण विश्वास है कि तिब्बत आजाद होगा।
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