Reported By: न्यूज अड्डा डेस्क
Published on: Sep 24, 2021 | 5:06 PM
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पडरौना/कुशीनगर (न्यूज अड्डा) । भारतीय जनता पार्टी के मार्गदर्शक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 105 वीं जयंती की पूर्व संध्या पर भाजपा नेताओं ने बूथ स्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर अपने प्रेरणापुरुष को श्रद्धांजलि दी।
तमकुहीराज विधानसभा के बूथ संख्या 401 मठिया श्रीराम में जिलाध्यक्ष प्रेमचन्द मिश्र ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चित्र पर फूल चढ़ा कर उन्हें नमन किया। इस अवसर पर जिलाध्यक्ष प्रेमचन्द मिश्र ने कहा कि एकात्म मानववाद का महान चिंतक पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारत में लोकतंत्र के उन पुरोधाओं में से एक हैं, जिन्होंने इसके उदार और भारतीय स्वरूप को गढ़ा है। उन्होंने राजनीति में सत्ता प्राप्ति के उद्देश्य को लेकर प्रवेश नहीं किया था। पंडित जी कहते थे कि मैं “राजनीति के लिए राजनीति में नहीं हूं, वरन् मैं राजनीति में संस्कृति का राजदूत हूं”। जिलाध्यक्ष ने कहा कि पण्डित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्र के सजग प्रहरी व सच्चे राष्ट्र भक्त के रूप में भारतवासियों के प्रेरणास्त्रोत रहे हैं। राष्ट्र की सेवा में सदैव तत्पर रहने वाले पंडित दीनदयाल का यही उद्देश्य था कि वे भारत को सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, शैक्षिक क्षेत्रों में बुलंदियों तक पहुंचा देख सकें। आज भारत के यशश्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के इन्हीं विचारों को आत्मसात कर देश के अंतिम पायदान पर खड़े प्रत्येक व्यक्ति के जीवन स्तर को सुधारने और भारत को परम वैभव पर पहुंचाने के लिए संकल्पित हैं।
जिला मीडिया प्रभारी विश्वरंजन कुमार आनन्द ने बताया कि जनसंघ के जनक पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1914 को मथुरा जिले के नगला चंद्रभान गांव में हुआ था. छात्र अवस्था में आरएसएस के संपर्क में आए और प्रचारक बन गए. जिसके बाद जनसंघ की श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ मिलकर स्थापना की. शुक्रवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती के पूर्व संध्या पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा कुशीनगर के सभी 2837 बूथों पर कार्यक्रम आयोजित किए गए।इस दौरान जिला पदाधिकारी, मण्डल प्रभारी,मण्डल अध्यक्ष, शक्ति केंद्र संयोजक, शक्ति केंद्र प्रभारी, बूथ अध्यक्ष, बूथ कार्यसमिति सदस्य और पन्ना प्रमुख सभी अपने अपने बूथ पर उपस्थित होकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके बताए मार्ग पर चलते हुए भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने में अपना यथासंभव योगदान देने का संकल्प लिया।
Topics: पड़रौना