Reported By: Surendra nath Dwivedi
Published on: Jan 31, 2023 | 8:46 PM
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कुशीनगर। आस्था और भक्ति से सराबोर ये तस्वीरें देवशिला यात्रा की हैं, जो उत्तर प्रदेश और बिहार के सीमावर्ती ज़िला कुशीनगर के कोने-कोने से आई हैं. फूलों से सजे ट्रकों पर रखी इन शालिग्राम शिलाओं की एक झलक पाने के लिए राम भक्तों का हुजूम उमड़ रहा है. क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग, क्या महिलाएं और क्या पुरुष…हर कोई इन शिलाओं के दर्शन को बेताब नजर आया. इतना ही नहीं, सड़क से गुजर रहे राहगीर भी रुक कर इन शालिग्राम शिलाओं के आगे श्रद्धा से शीश झुकाते नजर आए. इतना ही नही राष्ट्रीय राज मार्ग पर दोनो तरफ खड़े नर नारी ने पुष्प वर्षा कर शालीग्राम शीला का स्वागत नमन किया। वही सुरक्षा की बंदोबस्त के निगरानी अपर पुलिस अधीक्षक कुशीनगर रितेश कुमार सिंह ,उप जिलाधिकारी तमकुहीराज व्यास नरायण उमराव के साथ पुलिस क्षेत्राधिकारी तमकुहीराज जितेंद्र सिंह कालरा ने संभाल रखी थी।
आपको बता दे, नेपाल से दो विशाल शालिग्राम शिलाएं अयोध्या ले जायी रही हैं. इनसे श्रीराम और माता सीता की मूर्तियां बनाई जायेंगी. दावा है कि ये शिलाएं करीब छह करोड़ साल पुरानी हैं. नेपाल में पोखरा स्थित शालिग्रामी नदी (काली गंडकी ) से यह दोनों शिलाएं जियोलॉजिकल और आर्किलॉजिकल विशेषज्ञों की देखरेख में निकाली गयी हैं. इसे 26 जनवरी को ट्रक में लोड किया गया. पूजा-अर्चना के बाद दोनों शिलाओं को ट्रक से सड़क मार्ग से अयोध्या भेजा जा रहा है. एक शिला का वजन 26 टन है. वहीं, दूसरे का 14 टन है. राम मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल ने कहा कि हमें अभी शिलाओं को अयोध्या लाने के लिए कहा गया है. शिलाओं के अयोध्या पहुंचने के बाद ट्रस्ट अपना काम करेगा. ये शिलाएं अयोध्या में दो फरवरी को पहुंच सकती हैं. नेपाल की शालिग्रामी नदी भारत में प्रवेश करते ही नारायणी बन जाती है. सरकारी कागजों में इसका नाम बूढ़ी गंडकी नदी है.
यहां बताना लाजमी होगा की मंगलवार को सुबह दस बजे के आस पास शालीग्राम शीला की काफिला उत्तरप्रदेश के कुशीनगर जिले के सीमा में प्रवेश करने वाला था, जो लगभग दस घंटे बाद यूपी सीमा में प्रवेश कर पाया, लेकिन इतने बिलंब के बाद भी राम भक्त सुबह से रात्रि आठ बजे तक भगवान शालीग्राम के दर्शन के लिए अडिग अपनी पलके बिछाई रही। सुरक्षा के मद्देनजर जनपद के कई थानों के फोर्स ,पी ए सी के जवान चप्पे चप्पे पर पैनी नजर लगाए रहे।
यूपी बिहार सीमा (#सलेमगढ़) में #शालिग्राम शिला के दर्शन को उमड़ा भक्तों का सैलाब । pic.twitter.com/hiebrzRqo2
— News Addaa (@news_addaa) January 31, 2023
कामेश्वर चौपाल ने बताया कि शालिग्रामी नदी के काले पत्थर भगवान शालिग्राम के रूप में पूजे जाते हैं. यह नदी दामोदर कुंड से निकलकर सोनपुर में गंगा नदी में मिल जाती है. शिला यात्रा के साथ करीब 100 लोग चल रहे हैं. विश्राम स्थलों पर उनके ठहरने की व्यवस्था की गयी है. विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष जीवेश्वर मिश्र, राजेंद्र सिंह पंकज, नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री कमलेंद्र निधि, जनकपुर के महंत भी इस यात्रा में शामिल हैं. यात्रा के साथ राम मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल भी हैं. शनिवार को ये शिलाएं जनकपुर पहुंचीं. इसके बाद ये शिलाएं मधुबनी के सहारघाट, बेनीपट्टी होते हुए आज मंगलवार को साढ़े सात बजे सांयकाल कुशीनगर जिला के सीमा में पहुंचीं. यहाँ से कसया, हाटा और सोनबरसा होते हुए गोरखपुर में देरारत तक पहुंचने की संभावना है।
गोरखनाथ मंदिर पहुंचने के बाद शिलाओं का स्वागत-पूजन पूज्य संतों के हिंदू सेवाश्रम पर करेंगे. इसके बाद यात्रा में सम्मिलित सभी लोगों का मंदिर में भोजन एवं विश्राम होगा. अगले दिन एक फरवरी की सुबह यात्रा का विधि-विधान से पूजन कर उनको अयोध्या जी के लिए गोरक्ष पीठाधीश्वर उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा रवाना किया जाएगा.
शास्त्रों के मुताबिक, शालिग्राम में भगवान विष्णु का वास माना जाता है. पौराणिक ग्रंथों में माता तुलसी और भगवान शालिग्राम के विवाह का उल्लेख भी मिलता है. शालिग्राम के पत्थर गंडकी नदी में ही पाए जाते हैं. हिमालय के रास्ते में पानी चट्टान से टकराकर इस पत्थरों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है. मान्यता है कि जिस घर में शालिग्राम की पूजा होती है, वहां सुख-शांति और आपसी प्रेम बना रहता है. साथ ही माता लक्ष्मी की भी कृपा बनी रहती है.
Topics: अड्डा ब्रेकिंग तमकुहीराज तरयासुजान सलेमगढ़