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कुशीनगर: विशाल भंडारा के साथ सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का हुआ समापन

न्यूज अड्डा डेस्क

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Published on: Nov 22, 2022 | 6:26 PM
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कुशीनगर: विशाल भंडारा के साथ सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का हुआ समापन
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  • रुकमणी विवाह व सुदामा चरित का हुआ मार्मिक वर्णन
  • मुख्य यजमान द्वारा व्यास पूजन व हवन के साथ हुआ कथा का विराम
  • सैकड़ो की संख्या में उपस्थित श्रोतागण भक्तिरस में खूब गोते लगाये

कुशीनगर। जनपद कुशीनगर निवासी व टीबी रोग पर्यवेक्षक डॉ. आशुतोष मिश्र के ससुराल जयनगर तकरोही लख़नऊ में चल रहे सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा का आज विशाल भण्डारे के साथ समापन हो गया। आज अंतिम दिन मुख्य यजमान श्रीमती सुकमावती देवी पत्नी स्व.सुरेंद्र त्रिपाठी जो मूल निवासी कुशीनगर जनपद के सिकटा छोटे टोले के निवासी है द्वारा व्यास पूजन व हवन उनके दोनों पुत्र अश्वनी त्रिपाठी व पुत्रवधु जूही त्रिपाठी तथा आशीष त्रिपाठी व पुत्रवधु स्नेहा त्रिपाठी द्वारा आचार्य रवि त्रिपाठी के देख रेख में मंत्रोचार के साथ सम्पन्न कराया गया। कथावाचिका कंचन प्रभा शुक्ला ने श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि रुकमणी के भाई रुकमि ने उनका विवाह शिशुपाल के साथ सुनिश्चित किया था। लेकिन रुक्मणी ने संकल्प लिया था कि वह असत्य मार्गी शिशुपाल को नहीं अपितु श्रीकृष्ण को पति रूप में वरण करेंगी। भगवान द्वारकाधीश श्रीकृष्ण ने रुक्मणी के सत्य संकल्प को पूर्ण किया और उन्हें पत्नि के रूप में वरण करके प्रधान पटरानी का स्थान दिया। कथा वाचक ने कहा कि श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह प्रसंग को श्रद्धा के साथ श्रवण करने से कन्याओं को अच्छे घर और वर की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन सुखद रहता है।

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कथा के क्रम में कथावाचिका ने श्रीकृष्ण और सुदामा के मित्रता का भावपूर्ण वर्णन करते हुए कहा कि द्वारिकाधीश सुदामा नाम सुनते ही नंगे पांव मित्र की अगवानी करने राजमहल के द्वार पर पहुंच गए और बचपन के मित्र को गले लगाकर उन्हें राजमहल के अंदर अपने सिंहासन पर बैठाते हुए स्वयं अपने हाथों से उनके पांव पखारे। श्रीकृष्ण ने सुदामा से मित्रता का धर्म निभाया और दुनिया के सामने यह संदेश दिया कि जिसके पास प्रेम धन है वह निर्धन नहीं हो सकता। राजा हो या रंक मित्रता में सभी समान हैं और इसमें कोई भेदभाव नहीं होता। कथावाचक ने सुदामा चरित्र का भावपूर्ण वर्णन किया और उपस्थित लोग भाव विभोर हो गए। कथामण्डली में विपुल,कमल,राज व राजू प्रमुख रूप से रहे।

इस दौरान रमाकांत त्रिपाठी,मधुसूदन मिश्र,अजय त्रिपाठी,अवनीश पांडेय,राहुल शुक्ला,राणा प्रताप चौबे,अश्वनी कुमार पांडेय,अशोक तिवारी,फुलपति त्रिपाठी,नगावली मिश्रा,अंजली मिश्रा,अर्चना पांडेय,अर्चना तिवारी,अद्वव त्रिपाठी,अन्वय त्रिपाठी,अभ्युदय पांडेय,सतीश मिश्र,रजत द्विवेदी,आशा पांडेय,सुनीता देवी,अनीता देवी,पीहू तिवारी,पंखुड़ी आदि सैकड़ो की संख्या में श्रोतागण उपस्थित रहे।

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