Reported By: सुनील नीलम
Published on: Feb 17, 2023 | 6:39 PM
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कुशीनगर। श्रीमद् भागवत कथा श्रवण से निर्भयता, समरसता, नि:संदेहाता, आत्मबोध व परस्पर प्रेम का फल प्राप्त होता है। क्योंकि सवा सौ साल इस धरा धाम पर भगवान अपनी लीला करके अधर्मियों का नाश कर धर्म की स्थापना करके अपना दिव्य प्रकाश श्रीमद् भागवत में समाहित कर अंतर्ध्यान हो गए।
यह बातें समउर बाजार से सटे भगवानपुर में श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन गुरुवार की रात्रि कथावाचक आचार्य विनय पांडेय ने श्रोताओं को सुदामा प्रसंग सुनाते हुए कही। कथावाचक ने कहा कि कलियुग में जब शास्त्रों पर प्रहार, धार्मिक आस्था व धार्मिक व्यवस्था पर कुठाराघात होने लगेगा तब विधर्मियों का बोलबाला हो जायेगा। कलियुग की आयु मात्र आठ सौ साल शेष रहेगी तो भगवान कल्कि अवतार लेकर पुनः धर्म की संस्थापना करके संसार का कल्याण करेंगे। तब तक उद्धव जी व नारद जी भक्ति का प्रचार प्रसार करते रहेंगे। सुदामा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कथावाचक ने कहा कि शास्त्र संगत आचरण एवं सत्संग करने से जीव कामनाओं व इंद्रियों का दमन कर सुदामा बनता है। तब उसकी बुद्धि पत्नी रुपी सुशीला बनकर परमात्मा की ओर जाने के लिए प्रेरित करती है। भगवान उसे अपने बराबर बैठाते हैं और द्वारिकापुरी जैसे सुदामा पुरी का वैभव प्रदान करते हैं। सुदामा प्रसंग में भगवान के दीनबंधु नाम की सार्थकता सिद्ध हुई। पं. गिरीश नारायण मिश्र, पं नंद जी पाठक ने परायण किया। रमेश श्रीवास्तव, संत जी व राजू दास ने संगीत पर संगत की।
इस दौरान यजमान कृपाशंकर गिरी, उमाकांत सिंह, जिपंस राजन सिंह, कथावाचिका प्रियंका द्विवेद्वी, संदीप सुनीता, गीता, आरती, उमरावती गिरी, सुरेन्द्र पांडेय, रवीन्द्र पांडेय, रामाधार गिरी, संत जी यादव, गोपीचन्द्र यादव, जमुना यादव, कवींद्र, गोविंद,मनोज, रामायण गिरी आदि उपस्थित रहे।
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