Reported By: Surendra nath Dwivedi
            
                Published on: Feb 5, 2024 | 5:33 PM            
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                        सलेमगढ़/कुशीनगर। हमे कुछ जानना और आपने जीवन में उतारना है,तो हमे मानस से ही सिखाना पड़ेगा,मानस की कथा हम सबकी जीवन की कथा है।उक्त बाते राष्ट्रीय राज मार्ग के किनारे स्थित लतवा बजार में हो रहे पंचमुखी हनुमत प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ के तीसरे दिन ब्यास गद्दी से बोलते हुए कथा वाचक पंडित राम अवध शुक्ल ने महिलाओं और पुरुषों से खचाखच भरी पंडाल में हनुमत कथा में सराबोर कराते भक्तो की बीच कही।
कथा वाचक पंडित श्री शुक्ल ने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा की यह उस समय की बात है जब भगवान श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास मिला हुआ था। उस समय वे अपनी पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ चित्रकूट में रह रहे थे। एक दिन भगवान श्रीराम माता सीता के साथ अपनी कुटिया के बाहर उनकी गोद में सर रखकर लेटे थे । तब इंद्र पुत्र जयंत को एक शरारत सूझी व उसने कौवे का रूप धारण कर लिया। वह कौवा बनकर उनकी कुटिया के पास आया व विचरने लगा आज हम उसी घटना के बारे में जानेंगे।
जयंत की उद्दडंता तब हुई जब उसने माता सीता के पाँव में चोंच मारी। माता सीता के द्वारा उसे बार-बार हटाने का प्रयास किया गया लेकिन उसने चोंच मारनी जारी रखी, इसके कारण माता सीता के पैर से रक्त बहने लगा। जब भगवान राम ने माता सीता को इस तरह परेशान होते देखा तो उन्होंने इसका कारण पूछा। माता सीता ने उन्हें अपना पैर दिखाया व कौवें के द्वारा परेशान करना बताया।भगवान राम कौवे की इस हरकत से अत्यंत क्रोधित हो गए। चूँकि भगवान राम अत्यंत धैर्यवान व विनम्र स्वभाव के व्यक्तित्व वाले थे किंतु माता सीता को पहुंचे आघात के कारण उन्होंने अपना संयम खो दिया। उन्होंने उसी समय अपना ब्रह्मास्त्र निकाला व उस कौवें पर चला दिया। भगवान श्रीराम के द्वारा ब्रह्मास्त्र का प्रहार करने पर इंद्र पुत्र जयंत वहां से भाग गया लेकिन ब्रह्मास्त्र ने उसका पीछा नही छोड़ा। वह अपने प्राण बचाकर तीनों लोकों में दौड़ा किंतु कोई भी उसे नही बचा सका। अपने पिता के देव लोक में भी किसी के अंदर उसे बचाने का साहस नही था। तब नारद मुनि ने उससे कहा कि उसे केवल प्रभु श्रीराम ही बचा सकते है। तब जयंत भागता हुआ वापस चित्रकूट की उसी कुटिया में आया व भगवान श्रीराम के चरणों में गिर पड़ा। उसने अपने अपराध के लिए भगवान श्रीराम से क्षमा मांगी। तब भगवान राम ने उसे ब्रह्मास्त्र को अपना कोई अंग देने को कहा। तब जयंत के कहने पर प्रभु श्रीराम ने उनकी दायी आँख फोड़ दी व उसे क्षमा कर दिया।
सोमवार के कथा का मुख्य अतिथि समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता, तमकुहीराज विधान सभा के प्रभारी पूर्व ब्लाक प्रमुख डा. उदय नारायण गुप्ता ने ब्यास जी की आरती उतारी, साथ ही पूजन अर्चन कर कथा का श्री गणेश कराया। ब्यास गद्दी से कथा वाचक महराज द्वारा श्री गुप्त को रामनामी दुपट्टा गले में धारण करा कर आशीर्वाद दिया गया।
हनुमत कथा और पंचमुखी हनुमत प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ के यजमान पूर्व प्रधान घनश्याम गुप्ता, यजमान मुन्ना राय, ग्राम प्रधान लतवा मुरलीधर वरिष्ठ अधिवक्ता पत्रकार बाबू रजनीश राय, सामाजिक समाज सेवी अवधेश राय, शम्भू राय, पूर्व प्रधान टुनटुन राय द्वारा ब्यास जी की आरती कर आज की कथा का विश्राम किया गया ,इस अवसर पर समाज सेवी राजू राय,टुनटुन राय,जयप्रकाश कुशवाहा, विनोद राय, संतोष राय,विरेन्द्र पांडेय ग्राम प्रधान,द्वारिका राय,डा सुभाष तिवारी, उमेश राय, ओमप्रकाश कुशवाहा,शशि राय, दिग्विजय राय, अवध गुप्ता, सुभाष यादव,अरविंद गुप्ता,राजेश राय, आशुतोष राय, रंजन राय,सहित भारी सख्या में पुरुष और महिलाएं कथा की रसवादान किया। वही शांति सुरक्षा बंदोबस्त में स्थानीय तमकुहीराज थाना की महिला और पुरुष पुलिस बल उपस्थित रहे।
Topics: सलेमगढ़