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Microfinance Kya Hai माइक्रोफाइनेंस क्या है? माइक्रो फाइनेंस पर्सनल लोन कैसे लें, दस्तावेज & योग्यता

न्यूज अड्डा डेस्क

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Published on: Aug 5, 2023 | 10:45 AM
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Microfinance Kya Hai माइक्रोफाइनेंस क्या है? माइक्रो फाइनेंस पर्सनल लोन कैसे लें, दस्तावेज & योग्यता
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आज के दौर में भी दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में ऐसे बहुत से लोग रहते हैं जिनकी पहुँच बैंकिंग सुविधाओं तक आसानी से नहीं हो पायी है. समाज के ऐसे वंचित और कमजोर वर्गों के लिए Microfinance institutions (MFIs) या माइक्रोफाइनेंस संस्थान “छोटे ऋण” उपलब्ध करवाकर वास्तव में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है. आजकल स्टार्टअप का दौर चल रहा है. कई लोग नौकरियाँ छोड़कर किसी कारोबार की शुरुआत कर रहे हैं, तो कुछ लोग कॉलेज के बाद ही इसमें हाथ आज़मा रहे हैं. बहुत सारी महिलाएं भी उद्यमिता में अपना योगदान दे रही हैं. लोग पारंपरिक नौकरियों से परे सोचने लगे हैं और वे नए विचारों के साथ आ रहे हैं। हालाँकि, यह एक तथ्य है कि किसी व्यवसाय को शुरू से शुरू करने के लिए पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है। इसलिए देश में माइक्रो लोन की ज़रूरत महसूस हुई. इसके लिए, कई NBFC छोटे-छोटे कम समय में चुकता किए जा सकने वाले लोन दे रही हैं.

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माइक्रोफाइनेंस संस्थान प्राथमिक तौर पर गरीबी उन्मूलन को ही अपना उद्देश्य बनाकर काम करती हैं. विदित हो कि आज भी हमारा देश भारत एक विकासशील देश है और यहाँ कि अधिकांश जनसँख्या आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में ही निवास करती है. ऐसे लोगों के पास अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरी करने के लिए न्यूनतम राशि उपलब्ध होती है. इनके पास जरुरी सुविधाएँ नहीं होती है, पर्याप्त शिक्षा नहीं होती है फलसवरूप ऐसे लोग पिछड़े हुए होते हैं. ऐसे ग्रामीण भारत के लोगों को जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं उन्हें छोटे–छोटे कर्ज के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से Micro Finance की सुविधा प्रदान की गई है. यदि हम पारम्परिक बैंकिंग प्रणाली से यदि Microfinance institutions की तुलना करें तो इसकी कार्यप्रणाली में थोड़ा भिन्नता देखने को मिलती है. इसका विस्तार केवल ग्रामीण क्षेत्रों तक ही सिमित नहीं है अपितु यह संस्थान शहरी क्षेत्रों में छोटे व्यवसायियों, देश के अल्प विकसित क्षेत्रों के उद्यमियों के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह वैसे लोगों के लिए एक वरदान के रूप में काम करती है जिनकी पहुँच संस्थागत ऋण तक बहुत मुश्किल से हो पाती है. यदि आप भी “Microfinance Kya Hai” के बारे में विस्तारपूर्वक जानना चाहते हैं तो कृपया इस लेख के साथ अंत तक जरूर बने रहें.

माइक्रो लोन क्या होते हैं?

माइक्रो लोन ऐसे शॉर्ट टर्म लोन होते हैं जो छोटी राशियों के लिए दिए जाते हैं. ख़ुद का बिज़नेस करने वालों, स्टार्टअप, माइक्रो इंटरप्राइजेज़, छोटे व्यवसाय और कम कैपिटल आवश्यकताओं वाले व्यक्तियों को ये लोन दिए जाते हैं. यह एक तरह का स्मॉल फाइनेंस होता है जो छोटे व्यवसायों या निम्न-आय वर्ग वाले परिवारों को दिया जाता है. भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारत सरकार की मदद से फाइनेंस कंपनियों और NBFC के साथ पार्टनरशिप करके लोगों को माइक्रो फाइनेंस पर्सनल लोन देने की पहल शुरू की है. इस संबंध में Hero FinCorp एक जाना-पहचाना नाम है. बस कुछ आवश्यक शर्तें पूरी करके यहाँ से लोन लिया जा सकता है.

माइक्रो लोन किन्हें मिल सकता है:

माइक्रो लोन मुख्य तौर पर खुद का रोज़गार करने वालों, छोटे रिटेलर, व्यापारियों और निर्माताओं, स्टार्टअप, सलाहकार, महिला उद्यमी, बेरोज़गार लोगों, न्यूनतम आमदनी वाले लोगों, अल्पसंख्यकों को मिल सकता है.

माइक्रो फाइनेंस लोन का फ़ायदा

  • ये लोन उन लोगों की मदद करने के लिए है जो अपना कारोबार शुरू करना चाहते हैं लेकिन आर्थिक तंगी बाधक बनी हुई है.
  • महिलाओं को सशक्त करने और उद्यमिता की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए भी ये लोन दिए जाते हैं.
  • इन लोन की सबसे बड़ी ख़ासियत ये है बिना कुछ गिरवी रखे या आय का स्त्रोत ना होने पर भी ये लोन मिल सकता है.
  • यह लोन गांव और छोटे कस्बों के उन जरूरतमंद लोगों को दिया जाता है जिनके पास नियमित आय के कोई साधन नहीं हैं.
  • इस लोन की एक खासियत ये भी है कि इसे हफ़्ते, महीने या तिमाही किश्तों* में चुकाया जा सकता है.

Micro Finance Institutions Work Process माइक्रोफाइनेंस संस्थान की कार्यप्रणाली

वैसे तो देश में कई माइक्रोफाइनेंस संस्थान काम कर रही है. सभी काम करने का तरीका थोड़ा अलग है. लेकिन, एक बड़े सस्तर पर देखा जाये तो सभी का काम करने का तरीका एक जैसा ही है. MIcro Finance के तहत बहुत ही छोटा रकम छोटे व्यापारियों को दिया जाता है जिससे वे भी आपने व्यापार को आगे बढ़ा सकें. छोटे व्यवसायियों के लिए यह वरदान है. Micro Finance, इसके तहत दी जानेवाली लोन की राशि बहुत कम होता है. लेकिन एक कटु सत्य यह भी है की इसके जरिये ही छोटे व्यवसायी कामयाबी की राह खोज रही है. बड़े बैंक का कर्ज ज्यादा डूबता है. अभी कई ऐसे लोग हैं जो बड़े बैंक से कर्ज लेकर देश से फरार हो चुके है. वहीं दूसरी ओर Micro Finance कम्पनियाँ प्रत्येक वर्ष कारोबार में वृद्धि कर रही है. कुछ लोगों के मन में एक सवाल हो सकता है कहीं ये कंपनी मेरा पैसा लेकर भाग तो नहीं जायेगी. ऐसा बिलकुल भी नहीं हो सकता है. क्यूंकि MFI सिर्फ कर्ज दे सकती है लोगों का पैसा जमा नहीं कर सकती है. Micro Finance कम्पनियों का काम करने का तरीका पारम्परिक बैंकिंग प्रणाली से अलग है. इस क्षेत्र से सम्बंधित वित्तीय संस्थानों का काम करने का तरीका बहुत ही पारदर्शी है. यहां संस्थान द्वारा एक अधिकारी को नियुक्त किया जाता है. यह नियुक्त किया गया अधिकारी लोगों के समूह के संपर्क में रहता है और आवेदक की आवश्यकताओं को समझते हुए उसी आधार पर अंतिम राशि तय करता है. बैंक की तरह यहां भी संस्थान द्वारा तय किया गया नियम और शर्त मानना होता है. यदि कोई इस नियम का पालन नहीं करता है तो उसे ऋण (Loan) नहीं दिया जाता है.यह संस्थान उन लोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद है जिनका पहुंच बैंक तक नहीं है. यह संस्थान बहुत ही कम ब्याज दर पर कारोबारियों को ऋण मुहैया करवाती है. लोन की राशि लौटने के लिए एक नियम और शर्त बनाया गया है. जो भी व्यक्ति या समूह यह लोन कि राशि सही समय पर ब्याज सहित लौटने में सक्षम नहीं होता है उसे आगे किसी भी तरह का लोन नहीं देती है. यहां से लोन लेकर कई लोग आपने भविष्य को सवारने का काम कर रहे हैं. यदि सही समय पर लोन की राशि संस्थान को लौटा दिया जाये तो संस्थान उसका लोन रकम बढ़ा देती है. माइक्रोफाइनेंस संस्थानों का काम केवल ऋण देना नहीं होता है बल्कि लोन लेने वाले व्उयक्धाति या समूह का साथ तब तक नहीं छोरति है जब तक उनका कारोबार सही से पटरी पर न आ जाये. MFI (Micro Finance Institutions) के सफलता का राज यही है. आज देश में कई Miscro Finance Companies अपना कार्य संचालन बहुत अच्छे से कर रही है. माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं का पंजीकरण गैर सरकारी संगठन (सहकारी या ट्रस्ट) के तौर पर होता है जो कंपनी अधिनियम के सेक्सन 25 के अधीन होता है. इसके द्वारा दिया जाने वाला ऋण से दोनों का भला होता है. एक ओर जहां कारोबारी यहां से ऋण लेकर अपना कारोबार बढ़ाते हैं तो दूसरी ओर संस्थान ऋण देकर ब्याज के रूप में आय सृजन करती है. इसके तहत व्यक्ति या समूह को बहुत ही कम समय के लिए ऋण दिया जाता है और ऋण कि वापसी के लिए व्वयक्ति या समूह को साप्ताहिक पैसा जमा करना होता है. लगभग सभी बैंक ऋण कि वसूली के लिए मासिक किस्त तय करती है जबकि यहां साप्ताहिक किस्त तय किया जाता है. यही वहज है की Microfinance Companies द्वारा दिया गया ऋण का बहुत बड़ा हिस्सा ब्याज सहित वापिस आ जाता है.

Why Micro Finance माइक्रोफाइनेंस ही क्यूं ?

किसी भी देश, समाज की बेहतर वित्तीय स्थिति से ही उस देश के विकास की दिशा तय होती है. यही कारण है कि अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए तरह-तरह की योजनाएं बनाई जाती हैं. सरकार के लाख प्रयास के बाद भी अधिकांश मामलों में देश की ग्रामीण जनता तक विकास योजनाएं ठीक ढंग से नहीं पहुंच पाती है. ऐसे में ग्रामीण लोगों की मदद के लिए माइक्रोफाइनेंस जैसा कॉन्सेप्ट सामने आया है. इस सेक्टर की खास बात यह है कि मंदी के दौरान भी इस सेक्टर पर कुछ ज्यादा असर नहीं दिखाई दिया. यह कंपनी लोगों के व्यापार को बढ़ाने के प्रति समर्पित है. छोटे व्यवसायी को बहुत ही कम कागजी जरूरतों के साथ बहुत कम समय में लोन यह लोन मिल जाता है. जिससे वे आपने व्यापार को आगे बढ़ा सकें. नोबल पुरस्कार विजेता बांग्लादेश के मोहम्मद युनूस ने तो माइक्रोफाइनेंसिंग के मामले में एक मिसाल कायम की है. इसी क्रम में भारत के विक्रम अकूला (एसकेएस) का भी नाम लिया जा सकता है. इन लोगों ने माइक्रोफाइनेंस के माध्यम से न सिर्फ गरीब जनता की मदद की है बल्कि रोजगार के भरपूर मौके भी उपलब्ध कराए हैं.

Structure of Micro Finance माइक्रोफाइनेंस का स्वरूप

माइक्रोफाइनेंस के अंतर्गत विभिन्न जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण जनता को छोटी-छोटी वित्तीय सुविधाएं उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाती है. यह वित्तीय सुविधा मिलने की वजह से तीन तरह का फायदा हो रहा है. पहला लोन लेने वाले व्यक्ति अपना कारोबार सही से कर पता है, दूसरा इससे रोजगार का सृजन हो रहा है, और तीसरा लोन देने वाले संस्थान को ब्याज के रूप में आय हो रहा है. इसके तहत दी जानेवाली मदद किसी व्यवसाय, जैसे कृषि, डेयरी, टेलरिंग, पॉटरी, पॉल्ट्री आदि के लिए या व्यक्तिगत जरूरतों के लिए दी जाती है. इसमें 1 हजार से 50 हजार तक की राशि ऋण के रूप में दी जाती है, जिसे साप्ताहिक या मासिक आधार पर वापस किया जाता है. यह लोन किसी एक व्यक्ति या समूह को दिया जाता है. कोई शक नहीं कि जो गरीब या अनपढ़ हैं, उन्हें लोन संबंधी किसी प्रक्रिया की न तो ठीक से जानकारी होती है और न ही वह बैंकों से दी जानेवाली ऐसी सुविधाओं का फायदा उठाने में सक्षम होते हैं. इसलिए माइक्रोफाइनेंस के तहत न सिर्फ उनको लोन उपलब्ध कराया जाता है बल्कि इस पूरी प्रक्रिया की ट्रेनिंग भी दी जाती है. महत्वपूर्ण बात यह है इसमें वसूली की दर 95 प्रतिशत से भी अधिक है, यानी यह सिस्टम अच्छे से काम कर रहा है.

MFI Full Form एमएफआई का फुल फॉर्म

एमएफआई का फुल फॉर्म “Money Flow Index” होता है, जिसके तहत गरीब मजदूरों को कर्ज के रूप में सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. कर्ज देने का मुख्य उद्देश्य कारोबारियों का मदद करना है. जिससे रोजगार सृजन में मदद मिल सके. किसी भी देश का आर्थिक स्थिति वहां के कारोबारियों पर निर्भर करता है. ये कारोबारी छोटे या बड़े कोई भी हो सकते हैं. हर एक कारोबारी का देश के आर्थिक व्यवस्था में योगदान है. देश में जितना ज्यादा कारोबारी होंगें देश आर्थिक पहिया उतना तेजी से चलेगा. एक व्यवसाय कई के घर का चूल्हा जलने में मदद करता है. छोटे कारोबारी को जब तक लोन नहीं मिलेगा वो अपना काम बढ़ा नहीं सकते हैं. जब ये कारोबारी लोन के साथ आपने कारोबार को आगे बढ़ाएंगें तो रोजगार का सृजन होगा साथ ही लोन देने वाली कंपनी ब्याज के रूप आय करेगी.

गरीबों की दुनिया में छोटे कर्ज के बड़े कारनामे

माइक्रोफाइनेंस कि मदद से गरीबों की दुनिया में छोटे कर्ज से कई बड़े कारनामे हो रहे हैं. एक छोटी सी कहानी आपको सुनना चाहता हूं. मेरा एक मित्र है जिसने बहुत छोटे स्तर पर एक कारोबार शुरू किया और कारोबार को बढ़ाने के लिए कई लोगों से कर्ज मांगा, बैंक का भी चक्कर लगाया लेकिन, उसे कहीं सफलता हाथ नहीं लगा. इसके बाद उसे माइक्रोफाइनेंस के बारें में पता चला. जब यहां उसने बात किया तो उसे 50000 रूपये का लोन मिला और वह मसाला मिल लगा लिया. आज उसका मसाला मिल बहुत बड़ा हो गया है. इसे और बड़ा करने के लिए एक बार फिर से उसने माइक्रोफाइनेंस का दरवाजा खट खटाया. इस बार उसे 100000 (एक लाख) रुपये का लोन मिल गया. अब वह पैक करने वाला मशीन भी लगा लिया है. ऐसे न जाने कितने लोग हैं जो माइक्रोफाइनेंस कंपनी से लोन लेकर अपना कारोबार कर रहे हैं. साथ ही उसके यहां अभी 7 लोगों को नौकरी भी मिला हुआ है. माइक्रोफाइनेंस कंपनी से मिलने वाले सहायता का फायदा मेरे आँखों के सामने है. यदि आप भी माइक्रोफाइनेंस की मदद से अपना व्यापार बढ़ाना चाहते हैं तो आगे हमारे साथ बने रहिये अगले पोस्ट में हम जानेंगें माइक्रोफाइनेंस कंपनी से लोन कैसे ले सकते हैं. ऐसी कई कहानी है जो आपको प्रेरित करती है. माइक्रोफाइनेंस से मिलने वाला लोन ज्यादातर महिलाओं के समूह को दिया है. किसी महिला ने परचून की दुकान चलाने के लिए 30,000 रु. का कर्ज लिया है, तो किसी ने पति के इलेक्ट्रिशियन की दुकान चलाने के लिए लोन लिया है.

Micro Finance Interest Rate माइक्रोफाइनेंस ब्याज दर

  • माइक्रोफाइनेंस कंपनियों में ब्याज की दर अधिकतम 26 फीसदी तक होती है. यह सामान्य से कुछ ज्यादा है. इतना ज्यादा ब्याज दर पर लोन क्यूं दिया जाता है? यह एक बड़ा सवाल है.
  • Micro Finance Companies बैंक से कर्ज लेती है फिर आपने ग्राहकों देती है. बैंक से कम ब्याज दर में लोन मिल जाता है लेकिन, उसका पैसा डूब जाता है. जबकि बैंक से लोन लेकर माइक्रोफाइनेंस कंपनी काम करती है और उनका पैसा नहीं डूबता है.
  • माइक्रोफाइनेंस कंपनी से मिलने वाले ऋण का ब्याज दर ज्यादा होने का वजह यही है पहले वह किसी बैंक से 12 प्रतिशत पर लोन लेती है फिर इसे गपने ग्राहकों देती है.
  • यह ब्याज दर ऐसा लगता है जैसे किसी सूदखोर से ब्याज पर पैसा लिया गया हो. लेकिन, ऐसा नहीं है. साप्ताहिक किस्त होने कि वजह से ब्याज दर इतना ज्यादा नहीं होता है.
  • ब्याज दर ज्यादा होने वजह एक और भी है छोटे लोन में लेन देन कि प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कई कर्मचारी लगाया जाता है. उनका खर्च भी कंपनी को देना होता है.
  • सबसे बड़ी बात कुछ भी गिरवी रखे बिना आपको लोन मिल जाता है कोई कागजी कार्यवाही नहीं करना होता है. यहां तक की यहां से ऐसे लोगों को भी लोन मिला है जिनका बैंक खाता भी नहीं है.

Top 10 Points About Micro Finance

  1. माइक्रोफाइनेंस कंपनियां मुख्य रूप से निम्न-आय वर्ग और समाज के वंचित वर्ग को लाभान्वित करने जैसी महत्वपूर्ण कार्य करते हैं.
  2. माइक्रोफाइनेंस कंपनियां कम आय वाले समूहों के लोगों को रियायती प्रावधानों के माध्यम से ऋण प्रदान करते हैं.
  3. माइक्रोफाइनेंस संस्था भी आरबीआई के प्रावधानों द्वारा शासित होते हैं.
  4. यहाँ से ऋण प्राप्त करना न्यूनतम कागजी कार्रवाई और परेशानी मुक्त प्रसंस्करण होने के कारण लोगों के लिए आसान विकल्प होता है.
  5. यह वैसे लोगों के लिए सहायक है जिनके लिए किसी प्रसिद्ध वित्तीय संस्थान से ऋण प्राप्त करना मुश्किल हो.
  6. यह कम आय वाले लोगों को दीर्घकालिक स्थिरता प्रदान करती है.
  7. ये कोलेट्रल फ्री (Collateral-free) ऋण प्रदान करने के साथ – साथ ऋणों का एक विस्तृत पोर्टफोलियो प्रदान करने के लिए भी जाने जाते हैं.
  8. यह सिर्फ व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं बल्कि सामुदायिक स्तर पर सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने का काम करती है.
  9. देश में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए उनका सतत आर्थिक विकास में सहायता करना.
  10. सबसे महत्वपूर्ण यह निम्न आय वर्ग वालों के बीच उद्यमशीलता और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित कर उन्हें आगे बढ़ने में सहायता करती है.

Topics: बिज़नेस और टेक्नोलॉजी

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