कुशीनगर । चुनावी बयार की रंग अब धीरे -धीरे ग्रामीण इलाकों में भी चढ़ने लगा है। सर्द के मौसम में खेत से लेकर चौपालों पर किसान चुनावी चर्चा करते देखे जा रहे है। औऱ सरकारे बनने बिगड़ने लगी है।
किसान कहते है कि समस्या से छुटकारा और गांव का जो विकास करेगा, अबकी उसे ही चुनना है । खेत की पगडंडियों से लेकर चौपालों में सियासी रंग घुल गया है। खेतों में फसल की रखवाली करने वाले व अन्य काम करते किसान बनते बिगड़ते चुनावी समीकरणों पर चर्चा कर रहे है।
कौन किस दल का प्रत्याशी रहेगा और कौन दल सरकार बनाएगा, किसान इस पर खुलकर बात करते नजर आ रहे है। कभी कभी चुनावी बहस इतनी जोरदार हो जाती है कि कई लोगो को हस्तक्षेप करना पड़ता है। अपने खेतों में गन्ना की कटाई करते समय किसान बैठकर हंसी ठहाकों के बीच चुनावी चर्चा करते देखे जा रहे है। यहां तक कि रात के समय फसलो की रखवाली करने वाले किसानों को अब झपकी नहीं लग रही है। चुनावी बहस में किसानों की रातें कट रही है। कोरोना के चलते जनसभाओं और प्रचार करने पर लगी रोक को भी किसान ठीक बता रहे है। किसानों की माने तो वह ऐसे नेता को चुनेंगे जो समस्याओं से छुटकारा दिलाए और गांव को विकास की धारा से जोड़े। किसान किस दल से कौन प्रत्याशी रहेगा, किस की किससे जबर्दस्त टक्कर होगी इस पर सुबह से लेकर देर शाम तक चर्चाएं कर रहे है। चौपालों पर जहां अलाव के सहारे बैठे किसान बात करते है तो वहीं खेतो की पगडंडियों और मचानों पर चर्चा हो रही है। देखा गया है कि ग्रामीण इलाकों का माहौल पूरी तरह से चुनावी रंग में रंगा नजर आ रहा है।
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