कुशीनगर। जिला चिकित्सालय रविंद्र नगर धूस स्थित स्वशासी मेडिकल कॉलेज से नवजात शिशु के रहस्यमय तरीके से बुधवार के दिन गायब होने की घटना ने जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था और अस्पताल की सुरक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। मगर पुलिस अधीक्षक कुशीनगर केशव कुमार की सक्रिय भूमिका और सख्त निगरानी में चली ताबड़तोड़ कार्रवाई के चलते गुरुवार देर शाम नवजात को सकुशल बरामद कर माता-पिता को सौंप दिया गया। बच्चे की सुरक्षित वापसी से परिजनों के साथ-साथ पूरे जिले ने राहत की सांस ली।
पुलिस के अनुसार लापता नवजात को पडरौना कोतवाली क्षेत्र के मनिकौरा गांव स्थित बिंद टोली महुअवा कुटी से बरामद किया गया। माया देवी पत्नी स्व. बसंत निषाद नवजात को एसएनसीयू वार्ड से उठा ले गई थी। ग्राम प्रधान नंदलाल साहनी की सूचना पर स्वाट टीम प्रभारी आशुतोष सिंह और जटहा बाजार थानाध्यक्ष आलोक यादव ने त्वरित दबिश देकर बच्चे को सुरक्षित बरामद किया।
इसके बाद नवजात को उसके माता-पिता प्रदीप पुत्र मुनेश्वर और रीना चौधरी को सुपुर्द कर दिया गया।
प्रदीप और रीना ने पुलिस को दी गई लिखित तहरीर में बताया कि उनकी बेटी ने 25 नवंबर की शाम 5:40 बजे पुत्र को जन्म दिया था। नवजात को एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था। सुबह 9 बजे तक बच्चा सुरक्षित था, लेकिन दोपहर 12 बजे जब मां दूध पिलाने पहुंची तो बच्चा गायब मिला। इस घटना से पूरा परिवार मानसिक रूप से टूट गया।
पुलिस अधीक्षक केशव कुमार ने स्पष्ट शब्दों में कहा,।“नवजात को सकुशल बरामद कर लिया गया है, यह पुलिस की प्राथमिक सफलता है। मामले की गहन जांच जारी है। दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। अस्पताल प्रशासन के साथ समन्वय कर सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था को और मजबूत किया जाएगा, ताकि भविष्य में इस तरह की घटना दोबारा न हो।”
इस मामले में डॉ. रितेश सिंह, प्रभारी नर्स इंदु सिंह, स्नेहा मौर्य, उर्मिला, जूली, अनारकली और गार्ड धर्मेंद्र सिंह के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की धारा 97 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। उप जिलाधिकारी (न्यायिक) हाटा आशुतोष कुमार के नेतृत्व में मजिस्ट्रेटियल जांच भी शुरू कर दी गई है।
जानकारी रहे कि ,एएसपी सिद्धार्थ वर्मा, क्षेत्राधिकारी पडरौना अभिषेक प्रताप, थाना प्रभारी रविंद्र नगर ओमप्रकाश तिवारी और एसओजी टीम प्रभारी आशुतोष कुमार सिंह ने अस्पताल परिसर से लेकर आस-पास के इलाकों में व्यापक छानबीन की। अस्पताल के भीतर और बाहर लगे निजी व सार्वजनिक सीसीटीवी कैमरों के फुटेज भी खंगाले गए। इस घटना ने जिला अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। प्रशासन ने दोहरी जिम्मेदारी तय की है ।एक ओर नवजात की सुरक्षित बरामदगी, तो दूसरी ओर लापरवाह कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई।
नवजात की सकुशल वापसी से जहां परिजनों के चेहरे पर खुशी लौटी है, वहीं यह मामला जिला प्रशासन और स्वास्थ्य तंत्र के लिए एक बड़ा चेतावनी संकेत बनकर सामने आया है। अब निगाहें मजिस्ट्रेटियल जांच और दोषियों पर होने वाली कार्रवाई पर टिकी हैं।
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