पड़रौना/कुशीनगर । पडरौना क्षेत्र के सिधुवा स्थान के बनवारीपुर गिरि टोले पर अधिवक्ता बासुदेव गिरी के आवास पर आदि शंकराचार्य की जयंती मनाई गई। जिसके मुख्य अतिथि महामंडलेश्वर रामबालक दास त्यागी व गुरु गोरक्षनाथ गोस्वामी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशुतोष दिवाकर उर्फ मुन्ना गिरी रहे। कार्यक्रम का संचालन जिलाध्यक्ष रामबृक्ष गिरी ने किया।
मंगलवार आयोजित कार्यक्रम में आदि गुरु शंकराचार्य के चित्र पर पूजन-अर्चन के बाद महामंडलेश्वर रामबालक दास त्यागी ने कहा कि जब समाज में सद्भाव की कमी थी और मानव जाति पवित्रता व आध्यात्मिकता से वंचित थी, उस समय सभी ऋषियों व महात्माओं ने भगवान शिव से दुनिया को जगाने के लिए सहायता मांगा।इसके बाद आदि शंकराचार्य ने सभी को अद्वैत वेदांत के विश्वास और दर्शन के बारे में पढ़ाया और बताया। वहीं गुरु गोरक्षनाथ गोस्वामी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशुतोष दिवाकर उर्फ मुन्ना गिरी ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने सभी को उपनिषद, भगवद गीता और ब्रह्मसूत्रों के प्राथमिक सिद्धांतों को सिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विशिष्ट अतिथि कुबेर स्थान शिव मंदिर के महंत राजकुमार दास ने कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य ने सनातन धर्म को पुनर्जीवित करने के लिए विभिन्न देशों की यात्रा की और देश के चार अलग-अलग कोनों में चार मठों दक्षिण में श्रृंगेरी, उत्तर में कश्मीर, पूर्व में पुरी और पश्चिम में द्वारका की स्थापना की। कथावाचक दरोगा भारती ने बताया कि आदि गुरु शंकराचार्य महज सात साल की उम्र में संन्यास जीवन में कदम रख दिया था। उन्होंने अपने जीवन में बहुत कम उम्र में कई सफलता पा ली थी और उनकी इन सफलता के पीछे उनकी मां का हाथ था। उनकी मां ने ही शंकराचार्य के जगद्गुरु बनने का मार्ग प्रशस्त किया था।
कार्यक्रम को राष्ट्रीय संयोजक सलील गिरि, सुरेन्द्र गिरी, पंडित पुरुषोत्तम गिरी, सत्यनारायण गिरी, पूर्व विधायक प्रतिनिधि रामबृक्ष गिरी, कृष्णानंद गिरी सहित अन्य ने भी आदि गुरु शंकराचार्य व गोस्वामी समाज के उत्थान पर अपने अपने विचार व्यक्त किए।इस दौरान राष्ट्रीय मंत्री बृजेश गिरी, जितेंद्र पूरी,सुशीला गिरी,बबलू पर्वत, हनुमान गिरी,अजय गिरी, महेश गिरि, धनंजय गिरि, मदन गिरि, राजेंद्र गिरी, देवानंद गिरि, रोशन गिरि, उपेंद्र गिरि, पिंटू गिरि, राजेश गिरि, उसेश गिरि, अजय गिरि, रामप्रीत गिरि, डॉ राजेश गिरि, पुण्य प्रकाश गिरि, भानु प्रताप गिरि, अश्वनी गिरि, मंगलम गिरि आदि रहे ।