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विशुद्ध राष्ट्रवादी विचारक थे पंडित दीनदयाल उपाध्याय- जयंत कुमार सिंह

न्यूज अड्डा डेस्क

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Published on: Sep 25, 2022 | 12:30 PM
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विशुद्ध राष्ट्रवादी विचारक थे पंडित दीनदयाल उपाध्याय- जयंत कुमार सिंह
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कुशीनगर । पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी विचारक थे। उनका चिंतन विशुद्ध राष्ट्रवादी था, महान् राजनीतिक एवम स्टेट्समैन थे। जिन्हे राष्ट्र की चिंता थी, आनेवाली पीढ़ी की चिंता। उन्होंने अपना सार्वजनिक जीवन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक के लिए प्रारंभ किया।

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देश को एक राष्ट्रवादी पार्टी की आवश्यकता महसूस की गई और भारत के महान् नेता डाक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी संघ के तत्कालीन सरसंघचालक माधव राव सदाशिव गोलवलकर (श्री गुरुजी) से मुलाकात किया और उन्होंने देश की सेवा के लिए समर्पित कार्यकर्ता देने का अनुरोध किया। कहते हैं श्री गुरुजी ने दीनदयाल जी को संघ से राजनीतिक दल में काम करने के लिए भेज दिया। उनके साथ अनेक कार्यकर्ता गए। डाक्टर साहब ने श्री गुरुजी को बताया की उन्होंने अपनी नई पार्टी का नाम इंडियन पीपुल पार्टी रखने का विचार किया है। श्री गुरुजी ने इंडियन पीपुल पार्टी का हिंदी तर्जुमा कर दिया और कहा भारत की पार्टी भारत की भाषा में होनी चाहिए और नाम भारतीय जनसंघ रखा गया जो आज भारतीय जनता पार्टी है। इंडियन पीपुल पार्टी का अगर हिंदी भाषानुवाद करेंगे तो वह भारतीय जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी ही होगा। पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय जनसंघ के महामंत्री नियुक्त किए गए और उन्होंने जनसंघ को देश भर में कांग्रेस का विकल्प तैयार कर लिया। आज की पार्टी देश के लिए विकल्प बन गई है। दीन दयाल जी अध्यक्ष चुने गए और बहुत अल्प आयु एवम अल्प समय में ही आपका अवसान हो गया। आपने देश को एकात्म मानववाद दर्शन दिया। कहते हैं कि उसकी अभी विषद व्याख्या करते काल के क्रूर हाथो ने आपको हमसे, जनसंघ और संघ से तथा देश से छीन लिया। आपका चिंतन विशुद्ध राष्ट्रवादी था और आपने जो विचार दिया उसी रास्ते वर्तमान नेतृत्व चल पड़ा है। आप अखंड भारत के पक्षधर थे। आपका जीवन हमारे लिए प्रेरणा स्त्रोत हैदेश के लिए आपने अंतिम सांस तक काम किया। जैसा कि किसी कवि ने कहा, रात्रि बीत जायेगी, उषाकाल होगा। सूरज चमकेगा, कमल खिलेगा। कमल की पंखुड़ियों में बंद भौरा, यही सोच रहा था, तभी जंगली हाथी दौड़ता हुआ आया। सुगंधित पुष्प को रौद डाला। शेष सब इतिहास है। शत् शत् नमन हे राष्ट्र पुरुष आपको। हम करते नमन वंदन आपका आपकी जय हो।

Topics: तरयासुजान सलेमगढ़

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