Reported By: Surendra nath Dwivedi
Published on: Jan 29, 2023 | 5:03 PM
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कुशीनगर। हिंदू माघ मास के शुक्ल पक्ष के एकादसी तिथि दिन मंगलवार को उत्तर प्रदेश के सीमा में नेपाल से भारत रवाना हुईं शालिग्राम शिलाएं प्रवेश करेगी, जिसकी तैयारी में स्थानीय प्रशासन जोर सोर से लगा हुआ है। जिसका स्वागत उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिला कुशीनगर के तरयासुजान थाना क्षेत्र के सलेमगढ़ टोल प्लाजा पर किया जाएगा। जहा हजारों की संख्या में नर नारी उपस्थित होकर पुष्पवर्षा उक्त शालीग्राम शिलाए पर करेगे, जिसमे सांसद, विधायक, साधु संतो की गौरवमयी उपस्थित रहेगी। इस क्रम में रविवार को स्वागत स्थल का निरीक्षण उप जिलाधिकारी तमकुहीराज व्यास नारायण उमराव, प्रभारी निरीक्षक तरयासुजान राजेंद्र कुमार सिंह, प्रभारी निरीक्षक तमकुहीराज नीरज राय द्वारा किया गया।
आपको बता दे, ये शालिग्राम शिलाएं को नेपाल की काली गंडकी नदी से निकला गया है जो 40 टन वजन की है, दोनों विशाल शालिग्राम शिलाएं को दो ट्रकों के माध्यम से अयोध्या के लिए रवाना की गई हैं। सुंदर फूलों और लाल, गेरुआ, पीले तथा सफेद कपड़ों से सजाकर इन शिलाओं को ट्रकों पर रखा गया है। दोनों ट्रकों को बड़ी लॉरी पर सवार कर सड़क मार्ग से अयोध्या भेजा जा रहा है। रास्ते में इन पवित्र शिलाओं के दर्शन और स्वागत के लिए भी लोग उमड़ रहे हैं। दोनों शिलाओं में एक का वजन 26 टन व दूसरे का 14 टन है। ऐसी क्रम में 31 जनवरी को सुबह दोनों विशाल शालिग्राम शिलाएं सलेमगढ़ में पहुचेंगी जिसके तैयारियों को लेकर प्रशासन जोरसोर से लगा हुआ है।
जानकारी के अनुसार, भगवान राम सहित सभी भाईयों के बाल्य रूप की प्रतिमा अयोध्या में बन रहे मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की जाएंगी, जबकि राम दरबार की प्रतिमा प्रथम तल पर स्थापित की जाएंगी। सभी प्रतिमाओं का निर्माण शालिग्राम पत्थर से करने का निर्णय लिया गया है, क्योंकि इस पत्थर से निर्मित प्रतिमाएं लाखों वर्ष तक सुरक्षित रहती हैं। साथ ही दुर्लभ शालिग्राम पत्थर का धार्मिक महत्व भी है। यह नेपाल की काली गंडकी नदी समेत गिने-चुने स्थानों पर ही उपलब्ध है।
बिहार के मधुमनी बॉर्डर से दोनो शिलाएं भारत में प्रवेश करेंगी। वहां से कुशीनगर होते हुए गोरखपुर के गोरक्षपीठ लाई जाएंगी और पूजा-अनुष्ठान के बाद अंत में 2 फरवरी को अयोध्या लाई जाएंगीं। नेपाल में बहने वाली शालिग्रामी नदी को भारत में प्रवेश करने के बाद नारायणी नदी कहा जाता है। सरकारी दस्तावेजों में इस नदी को बूढ़ी गंडक कहा गया है। सनातन भारतीय मान्यता के अनुसार जब शालिग्राम की दोनों शिलाओं को नदी से बाहर निकाला गया तब परंपरा के अनुसार नदी से क्षमा भी मांगी गई।
बता दें कि शालिग्रामी नदी के काले पत्थर भगवान शालिग्राम के रूप में भी पूजा जाता है। नेपाल के पोखरा से होते हुए जब दोनों शिलाएं रवाना हुईं तब इनके दर्शन कते लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ भी जुट गई। शिलाओं के साथ में करीब 100 लोगों का समूह भी चल रहा है।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार अयोध्या में बन रहा भव्य राम मंदिर 20 फुट ऊंचे 392 खंभों पर खड़ा होगा जबकि मंदिर का शिखर 161 फुट ऊंचा होगा। मंदिर परिसर में नक्षत्र वाटिका और श्रीराम के जीवन को मूर्तियों के माध्यम से बताने और समझाने के लिए रामकथा कुंज की स्थापना भी की जाएगी जिसमें मूर्तियों के नीचे रामायण की चौपाइयां भी लिखी होंगी।
तैयारी के विषय में उप जिलाधिकारी तमकुहीराज क्या बोले: न्यूज अड्डा से एक निजी बात चीत में उप जिलाधिकारी तमकुहीराज व्यास नरायण उमराव ने कहा की यह बहुत ही सौभाग्य की बात है की इस शिला को हम सबको स्वागत करने और नमन करने का गौरव प्राप्त हो रहा है। स्वागत की तैयारी अंतिम चरण में है,सुरक्षा शांति बंदोबस्त के लिए प्रशासन सजग है।
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