Reported By: Surendra nath Dwivedi
Published on: Jan 30, 2022 | 8:05 AM
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कुशीनगर। एक कहावत आप भी कभी अपने वुजुर्गो से सुना होगा,की मुर्गी छोटी -प्रसाद बड़ा । यह कहावत का चिरतार्थ भी इस जनपद के सीमावर्ती कस्बा में सुनने को मिल रहा है। डॉक्टर साहब केवल दुःखियों का ईलाज ही यहाँ नही करते,बल्की मेडिकल में नामांकन के लिये इधर -उधर भटक रहे मेधावी छात्रों की नामांकन के भी ठीकेदारी करते है। अगर सूत्रों के बातो पर विश्वास करें तो जाँच तो इन बोर्ड वाले डॉक्टर साहब के पास होता है,लेकिन रिपोर्ट मोबाइल के वार्डसप पर गोरखपुर से आती है।
हम बात कर रहे है उत्तरप्रदेश -बिहार सिमा पर बसा सीमावर्ती कस्बा का जहाँ इस प्रकार की धंधा फल -फूल रहा है। और ये नीम हकीम खुले तौर पर भोली भाली जनता का शोषण करने से बाज नही आ रहा हैं। इनके मकड़जाल की तने इतनी मजगूत होती चली जा रही है,की जो फंसा -फंसता गया। सलेमगढ़ कस्बा में लम्बे -चौड़े साइन वोर्ड वाले यह डॉक्टर साहब पहले जोड़ -तोड़ के विशेषज्ञ थे,लेकिन जो बातें पड़ताल टीम के सामने लोगो द्वारा बताई जा रही है,अब ये साहब! दाद -खाज का भी शर्तिया इलाज शुरू कर दिए है। मरीजो के आकस्मिक सुरक्षा से बिना लैस इनका क्लिनिक हमेशा चर्चा में रहता है,। फिर भी दलालों के चंगुल में फंस भोली भाली जनता यहाँ फंस ही जा रही है,क्षेत्रों में विचरण करने वाले नीम हकीम खतरे जान मरीजो को भारी कमीशन के चक्कर उन्हें उठा साहब के चौखट पर पटक ही देते है।
जानकारों का कहना है की मेडिकल क्षेत्र में पढ़ाई करने वाले छात्रों को भी नामांकन कराने के ठीकेदारी साहब के पास है,लेकिन इलाज करने से पेट न पाल पाने वाले यह साहब मेधावी छात्रों को भी नही बक्स रहे है। कैसे बक्से जब कमीशन की खेल भी नीम हकीमो के जिम्मे है।
काश!इस अंधेरगर्दी पर अंकुश लगेगा, यह एक काबिले गौर मसला है। कुछ समय पहले तत्कालीन उप जिलाधिकारी तमकुहीराज अरबिन्द कुमार ने इन कोरोबारियो के खिलाफ मुहिम छेड़ी थी,काफी सफलता हाथ आयी थी,सीमावर्ती कस्बा में भी असर हुआ था,लेकिन फ़िर बैताल उसी डाल। (क्रमशः)
Topics: अड्डा ब्रेकिंग तमकुहीराज तरयासुजान सलेमगढ़