Reported By: न्यूज अड्डा डेस्क
Published on: Mar 3, 2024 | 8:35 PM
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बिहार । श्रीकृष्ण की बाल लीला तो आपने देखी ही होगी. उनकी मोहिनी मूरत को देख कर कोई मोहित रह जाता है. कुछ ऐसा ही हुआ बिहार पुलिस के साथ. श्रीकृष्ण की मूर्ति को श्रीराम बता बिहार पुलिस फंस गयी है जिसके बाद से बिहार के गोपालगंज जिले के हथुआ थानेदार पर कार्रवाई की तलवार लटकी है. कोर्ट से तारीख पर तारीख मिलने के बाद भी पुलिस ईश्वर श्रीकृष्ण की मूर्ति को शनिवार को सीजेएम न्यायालय में पेश नहीं कर सकी. सीजेएम मानवेंद्र मिश्रा की न्यायालय ने हथुआ के थानेदार द्वारा मूर्ति प्रस्तुत नहीं किये जाने और न्यायालय का समय बर्बाद किये जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए वेतन से एक हजार रुपये की कटौती की है. साथ ही पांच मार्च को अगली सुनवाई की तिथि मुर्करर की है.
बिहार सूबे की जनपद गोपालगंज के हथुआ थाना से भगवान श्रीकृष्ण की रिहाई कराने के लिए कई दिनों से कोर्ट में प्रक्रिया चल रही है. की भगवान का छुटकारा मिले। अब इस प्रकरण की सुनवाई अब आगामी पांच मार्च को होगा। गोपालगंज में भगवान श्रीकृष्ण की रिहाई को लेकर पुलिस पेंच में फंस गयी है. संकट में फंसे थानेदार पर कार्रवाई की तलवार लटकी है. न्यायालय से तारीख पर तारीख मिलने के बाद भी पुलिस भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को दो मार्च को सीजेएम कोर्ट में पेश नहीं कर सकी. सीजेएम मानवेंद्र मिश्रा की अदालत ने हथुआ के थानेदार द्वारा मूर्ति प्रस्तुत नहीं किये जाने और कोर्ट का समय बर्बाद किये जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए वेतन से एक हजार रुपये की कटौती की है. साथ ही पांच मार्च को अगली सुनवाई की तिथि मुर्करर की है.
यहां बताना लाजमी होगा की पिछले एक मार्च को जिले की हथुआ के थानाध्यक्ष ने सीजेएम कोर्ट में हाजिर होकर 24 घंटे की मोहलत मांगी थी और दो मार्च को दोपहर के दो बजे तक मूर्ति प्रस्तुत करने की बात कही थी. थानेदार ने कोर्ट को बताया कि जिस मालखाना में मूर्ति को रखा गया है, उसकी चाबी दूसरे पुलिस पदाधिकारी के पास है और चाबी नहीं मिलने की वजह से दो मार्च को श्रीकृष्ण की मूर्ति प्रस्तुत नहीं कर सके. कोर्ट ने पांच मार्च की तिथि निर्धारित करते हुए मूर्ति को प्रस्तुत करने का आदेश दिया है.
बताते चले की हथुआ थाने के बरी रायभान गांव में 1925 से सथापित श्रीराधा-कृष्ण गोपीनाथ मंदिर से चोरों ने 13 फरवरी 2018 कोअष्टधातु की मूर्ति चोरी कर ली. हथुआ थाने में अज्ञात चोरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गई थी. 23 नवंबर 2018 को तत्कालीन अनुसंधानकर्ता प्रशांत कुमार राय की ओर से सत्य सूत्रहीन बताते हुए अंतिम प्रपत्र संख्या 211/2018 समर्पित कर दी गयी. 28 फरवरी 2019 को न्यायालय द्वारा अंतिम प्रपत्र स्वीकृत कर लिया गया.
Topics: अड्डा ब्रेकिंग