Reported By: न्यूज अड्डा डेस्क
Published on: Oct 6, 2020 | 11:09 AM
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लखनऊ. त्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बिजली विभाग के निजीकरण (Privatization) किए जाने का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. बिजली कर्मियों की हड़ताल पर चले जाने से पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. इस बीच सोमवार को उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा (Minister Srikant Sharma) और बिजली कर्मचारी संघर्ष समिति के साथ हुए समझौते पर भी पेंच फंसता दिख रहा है. जिसके बाद कहा जा रहा है कि आंदोलन लंबा खिंच सकता है.
दरअसल, सोमवार को उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा और बिजली कर्मचारी संघर्ष समिति के साथ हुए समझौते के बाद यूपीपीसीएल के चेयरमैन ने समझौत पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया. समझौते के तहत घाटे को कम करने के लिए कर्मचारियों को सुधार के लिए मौका दिया गया था. मंत्री ने सुधार के लिए बिजलीकर्मियों को 31 मार्च तक का समय दिया था. जिसके बाद मार्च तक पूर्वांचल विधुत वितरण निगम के निजीकरण को टालने पर सहमति बनी थी. इसके बाद बिजली कर्मचारी संघर्ष समिति ने आंदोलन वापस लेने का ऐलान कर दिया था. लेकिन यूपीपीसीएल चेयरमैन इसके लिए तैयार नहीं हुए, जिससे अब आंदोलन लंबा खिंच सकता है.
गौरतलब है कि पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम लिमिटेड अरबों के घाटे में है. जिसके बाद सरकार ने कर्मचारियों को चेताया था. बावजूद इसके कोई सुधार नहीं हुआ. बिजली चोरी, कटिया कनेक्शन और बिजली बिल की वसूली करने में लापरवाही देखने को मिली जिसके बाद सरकार ने इसे निजी हाथों में सौंपने का फैसला किया. जिसके विरोध में 5 अक्टूबर से बिजलीकर्मी अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार कर रहे हैं.
बिजली कर्मियों के कार्य बहिष्कार का असर भी देखने को मिला. अधिकतर जिलों में बिजली कटौती से हाहाकार मच गया. सोमवार को यूपी में अधिकांश हिस्सों में बिजली की सप्लाई नहीं हो सकी. इसके चलते लाखों लोगों को अंधेरे में रहना पड़ा. जानकारी के मुताबिक, राजधानी लखनऊ में उप मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री समेत कुल 36 मंत्रियों के आवास में बिजली की सप्लाई नहीं हो पाई. सभी मंत्रियों के घर में अंधेरा छाया रहा. इसके अलावा हजारों घरों में भी पावर सप्लाई नहीं हो सकी.