Reported By: Surendra nath Dwivedi
Published on: May 26, 2021 | 7:42 AM
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कुशीनगर | जनपद के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष दंपती के खिलाफ लोकायुक्त जस्टिस एनके मेहरोत्रा ने विजिलेंस जांच की सिफारिश की है। लोकायुक्त कुशीनगर के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्षों प्रदीप जायसवाल और उनकी पत्नी सावित्री जायसवाल के खिलाफ एक शिकायत पर जांच कर रहे थे। दोनों अध्यक्षों पर अपने रिश्तेदार की फर्म को करोड़ों के ठेके देने सहित भ्रष्टाचार के कई आरोप थे। लोकायुक्त ने जांच पूरी कर सिफारिशों के साथ अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को भेज दी है।
ओम प्रकाश वर्मा ने 24 दिसंबर 2014 को लोकायुक्त में कुशीनगर जिला पंचायत अध्यक्ष सावित्री देवी और उनके पति पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष प्रदीप जायसवाल के खिलाफ शिकायत दाखिल की थी। आरोप था कि दोनों ने भतीजे इंद्रजीत जायसवाल की फर्म को कई करोड़ के ठेके दिए। लोकायुक्त ने बताया कि प्रदीप जायसवाल 2005-2010 तक जिला पंचायत अध्यक्ष रहे, जबकि उनकी पत्नी सावित्री जायसवाल 2010 से 2015 तक अध्यक्ष थीं। अधिकांश आरोप पांच साल पहले के थे और लोकायुक्त नियमावली के मुताबिक वह पांच से अधिक पुराने मामलों की जांच नहीं कर सकते हैं। लोकायुक्त ने पांच सालों के कार्यकाल के दौरान लगाए गए आरोपों की जांच में पाया कि सावित्री इंटरप्राइजेज को सावित्री जायसवाल ने 6.69 करोड़ से अधिक के ठेके दिए, जो नियम विरुद्ध है। वहां के अपर मुख्य अधिकारी ने भी स्वीकार किया कि नियमों को दरकिनार कर सावित्री इंटरनेशनल को ठेके दिए गए हैं। लोकायुक्त ने सिफारिश की है कि दोनों अध्यक्षों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 के तहत अभियोजन चलाए जाने के लिए पूरे मामले की जांच विजिलेंस से करवाई जाए। इसके अलावा मनरेगा के तहत कुशीनगर में बनाए गए पुल के गिरने की जांच कर रही सीबीआई ने अक्टूबर 2014 में सावित्री जायसवाल के घर सहित लखनऊ, बुलंदशहर और गोरखपुर में भी छापा मारा था। सीबीआई की एंटी करप्शन शाखा ने उनके पति से भी पूछताछ की। 19 स्थानों पर हुई इस कार्रवाई में टीम को अहम दस्तावेज हाथ लगने की बात कही गई थी।
Topics: सरकारी योजना