Reported By: न्यूज अड्डा डेस्क
Published on: May 17, 2020 | 6:09 AM
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लॉकडाउन में लोग घरो मे कैद हैं, सडके खाली है, इसके बावजूद सडक दुर्घटना में मौत का आंकडा थमने का नाम नही ले रहा. लॉकडाउन के दौरान हुए सडक हादसो में करीब 142 मजदूरो की मौत हो चुकी है. ये सभी लोग लॉकडाउन में अपनें घरो के लिए रवाना हुए थे. इन सभी की मौत की मुख्य वजह रफ्तार थी, फिर चाहे वो बाइक से टक्कर हो, कार से या ट्रक से. ये सभी आंकडे 24मार्च से 8 मई तक के बीच के है.
सबसे ज्यादा 100 मौतें केवल 9 राज्यो में दर्ज की गई है. जिनमें महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, असम, केरल, कर्नाटक, पंजाब, तमिलनाडू और पंजाब शामिल हैं. रिपोर्ट के अनुसार इन सडक हादसो में ओवरस्पीडिंग सबसे प्रमुख कारण रहा है.
यदि आंकडों पर और गहराई से गौर करें तो कुल मौतों में 57 प्रतिशत लो वाहन चलाते हुए और 30 प्रतिशत लोग ऐसे थें जो कि इस वायरस के संक्रमण से बचने के लिए अपने घरों को जा रहे थें। लॉकडाउन के कारण अंतरराज्यीय परिवहन बंद होन के कारण बहुतायत लोग पैदल ही अपने घरों की तरफ निकलने के लिए मजबूर हुए हैं। इतना ही नहीं इन सड़क दुर्घटनाओं में कुछ डॉक्टरों और आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई करने वालों की भी मौत हुई हैं.
क्या है वजह :- लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर लोग अपने घरो मे रहने को मजबूर हैं, लेकिन बावजूद इसके सडक दुर्घटना के क्या कारण हैं. सडक हादसो में ज्यादातर मामलें ओवर स्पीडिंग यानी की तेज गतिसे वाहन चलाने के नाते हुए हैं.
सरकार द्वारा जारी किए गए एक आकडो के अनुसार भारत में सडक दुर्घटनाओं में 2015 और 2017 के बीच हर साल 1.46 लाख और 1.5 लाख लोगो की मौत हुई थी.इस लिहाज से देश में हर रोज औसतन 400लोगो की मौत सडक हादसो में होती है.
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