Reported By: न्यूज अड्डा डेस्क
Published on: Aug 31, 2024 | 1:33 PM
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गोरखपुर (शाश्वत राम तिवारी) । फर्जी स्टांप व मनी म्यूल जैसे बड़े मामले का पर्दाफाश कर जालसाजों को जेल पहुंचाने के साथ ही वह अपनी बहादुरी और नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवा चुकी हैं। नारी अब अबला नहीं रही। उसे किसी के सहारे की जरुरत नहीं है। इन वाक्यों को असल जिंदगी में सच कर दिखाने वाली भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) की अधिकारी अंशिका वर्मा साहस की मूर्ति बनकर बदमाशों के छक्के छुड़ा रही हैं। अंशिका वर्मा की एक तेजतर्रार अधिकारी महिलाओं और पीड़ित के अधिकार व सम्मान के लिए हमेशा तैयार रहना उनकी पहचान है। उनके परिवार में माता-पिता व दो बहनें हैं। अंशिका वर्मा ने बताया कि बचपन से ही सपना था कि महिला निर्बल व पीड़ित की आवाज बनूं। पढ़ाई के दौरान भी यह बात जेहन में हमेशा बनी रही। लक्ष्य हासिल करने के लिए सेल्फ स्टडी का सहारा लिया। बचपन से ही उनमें देशप्रेम का जज्बा था, इसलिए इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद बिना कोचिंग के अपनी मेहनत व लगन से उन्होंने परीक्षा पास की और देश व आमजन की सेवा में जीवन को समर्पित कर दिया। निरंतर प्रयास और दृढ़ संकल्प के बल पर आइपीएस अधिकारी बनीं अंशिका वर्मा इस समय गोरखपुर में एएसपी/सीओ कैंट के पद पर तैनात हैं। अंशिका वर्मा मूलरूप से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की रहने वाली हैं।
इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई प्रयागराज के निजी स्कूल में पूरी करने के बाद नोएडा के गलगोटिया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से साल 2014-18 में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशंस में बीटेक की डिग्री हासिल की है। प्रयागराज लौटने के बाद घर पर ही सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरु की। 2019 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी लेकिन सफलता नहीं मिली। कुछ कर गुजरने की चाहत उन्हें नहीं रोक सकी और यूपीएससी परीक्षा 2020 में सफलता हासिल कर वह आइपीएस अधिकारी बनीं।
अंशिका ने बैचलर डिग्री हासिल करने के बाद यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरु कर दी थी। इसके लिए उन्होंने कोई कोचिंग नहीं ली सिर्फ अपनी सेल्फ स्टडी के दम पर वे पढ़ाई करती रहीं। हालांकि उन्होंने हार नहीं मानीं। वे डटी रहीं। पढ़ती रहीं। अपनी कमियों पर काम करती रहीं। अंशिका की मेहनत का नतीजा यह रहा कि दूसरे प्रयास में उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली।