

- अशोक की धम्मनीति लोक कल्याणकारी -डॉ. रमाकांत कुशाग्र
- अशोक ने धम्मनीति के द्वारा धम्म विजय की संकल्पना को साकार किया-डॉ.निगम मौर्य
कसया/कुशीनगर। सम्राट अशोक की धम्मनिति उच्च नैतिकता का प्रतिमान थी। सम्राट की धम्मनिति को लेकर राज्य के अधिकारी से लेकर आमजन तक में समान स्वीकारोत्ति थी।इसी कारण अशोक की धम्मनीति लोक कल्याणकारी और सफल सिद्ध हुई।
उपरोक्त बातें सम्राट अशोक वेलफेयर सोसायटी कुशीनगर और श्रीलंका बुद्ध विहार द्वारा अशोक विजय दशमी के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि डॉ. रमाकांत कुशवाहा कुशाग्र ने कही।इस अवसर पर मुख्य वक्ता डॉ.निगम मौर्य ने कहा कि सम्राट अशोक ने धम्मनीति के द्वारा धम्म विजय की संकल्पना को साकार किया। करुणासागर तथागत बुद्ध की शिक्षाओं से प्रभावित होकर सम्राट अशोक ने पड़ोसी देशों को चिकित्सकीय सहायता, धम्म प्रचारक, औषधिया,चिकित्सक आदि भेजकर मैत्री संबंध स्थापित किया। आपने बताया कि विश्व के ज्ञात इतिहास में सम्राट अशोक पहला शासक था जिसने पंथनिरपेक्षता की नीति अपनाई और बौद्ध धर्म अपनाने के बावजूद दूसरे धर्मो को बराबर का आदर और सम्मान दिया।यह बात उसके शिलालेख से भी पता चलती है। विशिष्ट वक्ता डॉ शंभू दयाल कुशवाहा ने कहा कि सम्राट अशोक ने राजनैतिक विजय को त्यागकर धम्म विजय की नीति अपनाई।यह पंथनिरपेक्ष शासक थे इसका पता उनके द्वारा भिक्षुओं और ब्राह्मणों को समान रूप से दान देने की घोषणा से परिलक्षित होती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूज्य भंते डॉ नंद रतन थेरो ने बताया कि बुद्ध वचन प्राणी मात्र के प्रति करुणा से ओतप्रोत है।बुद्ध शासन में रहने वाला व्यक्ति त्यागमई और नैतिक जीवन जीता है।सम्राट अशोक ने भगवान बुद्ध के संदेशों को विश्वभर में पहुंचाया।इस दृष्टि से बुद्ध धर्म के प्रति उनका योगदान अतुलनीय है।बुद्ध धर्म में अगाध आस्था के कारण ही उन्होंने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को भिक्षु संघ में दाखिल कराकर श्रीलंका धर्म प्रचार हेतु भेजा। इस संगोष्ठी में पूज्य भंते , डॉ अवधेश कुशवाहा और डॉ सुमित आदि ने भी विचार व्यक्त किया।।श्रीलंका बुद्ध विहार द्वारा धम्म विजय दिवस के अवसर पर निःशुल्क चिकित्सकीय शिविर भी लगाया गया। जिसमे लगभग 500 लोगो ने विभिन्न बीमारियों का ईलाज कराया।आज यहां आए हुए भी भिक्षुओं और उपासकों को बुद्ध विहार द्वारा भोजन दान भी किया गया।
आज के कार्यक्रम में डॉ एस के कुशवाहा, बृजेश कुशवाहा,भंते तेजेंद्र,भंते मुलायम, कमलेश कुशवाहा,राजेश सिंह,कन्हैया कुशवाहा समेत बड़ी संख्या में उपासक और उपसिकाएं सम्मिलित हुए।