Reported By: Surendra nath Dwivedi
Published on: Jun 19, 2020 | 7:13 AM
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गोरखपुर का एक ऐसा गांव जहां पर है मोरों की बस्ती, 150 से ज्यादा मोर
गोरखपुर. राष्ट्रीय पक्षी मोर (Peacock) के देखने के लिए शहरों में लोगों को चिड़ियाघर जाना पड़ता है. गांवों में अगर बाग-पानी की व्यस्था है तो घंटो इंतजार करना पड़ता है मोर देखने के लिए. वहीं, सीएम सिटी गोरखपुर (Gorakhpur) एक ऐसा गांव है जहां पर लोगों की घरों की छतों, गलियों, खेत खलिहान में मोर नाचते झूमते दिख जाते हैं. जिला मुख्यालय के 10 किलोमीटर दूरी पर स्थित खोराबार ब्लॉक के कोनी गांव को लोग मोर वाले गांव के रूप में भी जानते हैं. यहां पर कोई भी मोर को पिंजड़े में नहीं रखता है. न ही अपने घर में पालता है. फिर भी मोर गांव के आस पास ही रहते हैं. गांव वाले कहते हैं कि अगर कोई मोर गांव से बाहर चला जाता है तो फिर वापस भी लौट आता है.
गांव के हर घर में मोरपंख मिलता है. ग्रामीण कहते हैं कि 1998 में जब गोरखपुर में भीषण बाढ़ आई थी. तब उसी बाढ़ में दो जोड़े मोर गांव में आ गये थे. जिसके बाद गांव वालों उन दोनों को भीषण बाढ़ से बचाने के साथ उनके रहने की व्यवस्था की. जिसके बाद से गांव में ही मोर रहने लगे आज 150 से अधिक मोर गांव में रहते हैं. गांव का कोई भी व्यक्ति मोरों को मार नहीं सकता है. अगर बच्चे किसी मोर को परेशान करते हैं तो ग्रामीण उन बच्चों को भगा देते हैं.