Reported By: न्यूज अड्डा डेस्क
Published on: Apr 10, 2023 | 5:08 PM
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तमकुही/कुशीनगर (शम्भू सिंह)। सरकार ने परिषदीय स्कूलों में बच्चों को जूते मोजे, स्वेटर बांटने की शुरुआत की। स्कूलों को मॉडल बनान शुरू किया। किताबें भी पहले के मुकाबले जल्दी पहुंचने लगीं। स्कूल में अगर छात्र-छात्राओं को किताबें, बैग, यूनिफॉर्म सब कुछ दे दिया जाए, लेकिन वहां टीचर ही ना हो तो क्या फायदा। जिले के सैकड़ों परिषदीय स्कूलों का कुछ ऐसा ही हाल है। कोई स्कूल सिर्फ एक शिक्षक व शिक्षा मित्र के भरोसे चल रहा है तो कोई सिर्फ दो टीचर के सहारे चल रहा है।
कुशीनगर में चलने वाले प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में अंतर्जनपदीय तबादले से आई रिक्तियों का खामियाजा लाखों छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है। हालात यह है की कई स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक कक्षा 1 से 5 तक के छात्र-छात्राओं को पढ़ाता है तो कई जगह दो शिक्षक हैं भी तो एक शिक्षक विद्यालय के अभिलेखों, नवाचार, डीबीटी, बैंकिंग, एमडीएम आदि तमाम गतिविधियों को ऑनलाइन भरने में ही व्यस्त है । नतीजा जब शिक्षक एक क्लास में होता है तो दूसरी क्लास के छात्र छात्राएं इंतजार करते हैं।
इन स्कूलों के हाल देख कर तो ऐसा लगता है बेसिक शिक्षा विभाग खुद अपने स्कूलों को बदहाल कर कॉन्वेंट स्कूलों को बढ़ावा देने में लगा है। जिले के सैकड़ो प्राइमरी स्कूलों में आज सिर्फ एक या दो शिक्षक है। बेसिक शिक्षा विभाग ने इस साल छात्र-छात्राओं का नामांकन बढ़ाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन इन हालात में ये कैसे पूरा होगा।
जिले में शिक्षा विभाग से ताल्लुक रखने वाले जागरूक लोगो का मानना है कि शिक्षकों की कमी की मूल समस्या शासन की नीतियां ही जिम्मेदार हैं कारण की भर्ती के समय प्रदेश स्तर पर मेरिट बनाई जाती है, कुशीनगर की मेरिट कम होती हैं और यहां हमेशा रिक्तियां ज्यादा रहती है। फिर दूसरे जिले के अभ्यर्थी यहां नियुक्ति तो पा लेते हैं और फिर अंतर्जनपदीय स्थानांनतरण में अपने जिले में चले जाते हैं। जिससे यहां रिक्तियां जस की तस बनी रहती है और दूसरे जिलों में शिक्षक सरप्लस हो जाते हैं। वही कुशीनगर में शिक्षकों की समस्या बनी रहती है। अगर अन्य जनपदों में नजर दौड़ाई जाय तो वहां बच्चों के सापेक्ष शिक्षक सरप्लस है तो दूसरी तरफ कुशीनगर में बच्चों के सापेक्ष शिक्षको की संख्या काफी कम है। ऐसे में शिक्षक बच्चों को पढाये तो विभाग की गतिविधियां पूरा नही होगी, और गतिविधियों को पूरा करे तो बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। अगर गतिविधियों को न करे तो अकेला चना कैसे भाड़ फोड़ सकता है क्यो कि कही एकल व दो शिक्षकों के भरोसे विद्यालय है और प्राथमिक में 5 और पूर्व माध्यमिक में 3 कक्षाएं संचालित होती हैं।। लोगों का कहना है कि शिक्षक गैर जनपद में नियुक्ति पा लेते हैं फिर चुनाव के समय अंतर्जनपदीय तबादला के लिए अभियान चलाते हैं फिर सरकार उनके दबाव में समस्याओं को दरकिनार कर उनके तबादले की प्रक्रिया करती है, और ऐसे में अपने रसूख व प्रभाव के बलबूते शिक्षक अपने जनपद चले जाते हैं और शिक्षकों की कमी से जूझ रहे जनपदों की स्थिति पहले ही की तरह हो जाती हैं। यहां नियुक्ति का प्रभाव बेअसर हो जाता है। लोगों का कहना है कि अन्य जनपदों में नामांकन के सापेक्ष शिक्षको की संख्या अधिक है तो वही कुशीनगर में नामांकन के सापेक्ष शिक्षको की संख्या काफी कम है। सरकार को यहां नियुक्तियों के साथ ही तबादलों पर तब तक रोक लगाना चाहिए, जब तक यहां भी अन्य जनपदों की तरह शिक्षकों का अनुपात सही न हो जाय। वही कागजी कार्यो के लिए प्रत्येक न्याय पंचायत में एक क्लर्क की भी तैनाती होनी चाहिए, जिससे शिक्षक कागजी कार्यो से तनावमुक्त होकर शिक्षण कार्य करे और परिषदीय विद्यालयों का शैक्षणिक माहौल बेहतर होने के साथ ही नामांकन को बढ़ाया जा सके और अभिभावक खुद अपने पाल्यो का नामांकन कराने पहुंचे। क्यो कि अभिभावक भी प्राइवेट विद्यालयो के महंगे फीस व व्यवस्था से त्रस्त हैं और अभिभावक भी परिषदीय विद्यालयों में शिक्षको की कमी की समस्या दूर होने की राह देख रहे हैं। बेसिक विद्यालयों में अभिभावकों के रुझान न बढ़ने की असली वजह शिक्षको की कमी है।
Topics: अड्डा ब्रेकिंग तमकुहीराज