Reported By: न्यूज अड्डा डेस्क
Published on: Feb 23, 2022 | 1:10 PM
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तमकुहीराज/कुशीनगर। शुरू में कमजोर दिख रही भाजपा को भेदना जहां मुश्किल हो रहा, वहीं सपा के बढ़ते जनाधार ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है। बसपा भी अपने परंपरागत वोट से आगे निकल पड़ी है। तमकुहीराज विधानसभा से यहां के लगातार दो बार से विधायक कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, भाजपा से प्रख्यात चिकित्सक डॉ. असीम कुमार राय, सपा से डॉ. उदय नारायण गुप्ता, बसपा से संजय गुप्ता, आप से संजय राय, वीआईपी से डॉ. के के गुप्ता से प्रमुख प्रत्याशी है। बीते चुनावों पर नजर डाले तो यहां 1991 से भाजपा और मुख्य विपक्षी दल जनता दल, सपा और कांग्रेस के बीच रहा है। तब एक ओर भाजपा तो दूसरी समय समय पर समीकरण के अनुसार मुख्य भूमिका कोई एक विपक्षी दल रहा। यहां पिछले दो चुनावों से कांग्रेस प्रत्याशी द्वारा अगड़ा पिछड़ा का कार्ड भी खूब खेला गया, और उसका भरपूर फायदा भी कांग्रेस को मिला। तब यहां भाजपा से पंडित नन्दकिशोर मिश्र और सपा से डॉ. पीके राय मजबूत प्रत्याशी रहें।
पिछले चुनाव में कांग्रेस सपा के समझौता में डॉ. पी के राय पैदल हो गये तो भाजपा ने नन्दकिशोर मिश्र को खारिज कर दिया। जबकि पूर्व प्रमुख विजय राय दमखम से बसपा के हाथी को दौड़ाने निकल पड़े थे। पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को एक मुश्त अल्पसंख्यक व यादव वर्ग का वोट मिला था और वे 62 हजार वोट पाकर दोबारा विधयक बन गये।
यहां गौर करने वाली बात यह है कि पिछले चुनाव में भाजपा से जगदीश मिश्र उर्फ बाल्टी बाबा, बसपा से विजय राय, निषाद पार्टी से डॉ. पीके राय और निर्दल नन्दकिशोर मिश्र चुनाव मैदान में थे। इस तरह इस चुनाव में चार सवर्ण एवं एक पिछड़ा चेहरा मैदान में था। उस समय भी जमकर अगड़ा पिछड़ा की चर्चा हुई थी, और नतीजा कांग्रेस के पक्ष में चला गया। 2022 के चुनाव में भी जमकर अगड़ा पिछड़ा की बात कहीं जा रही। लेकिन इस बार प्रमुख दावेदारों में चार पिछड़ी और एक सामान्य वर्ग के प्रत्याशी मैदान में है। मतलब साफ है कि वोट के समीकरण किस तरह करवट बदल रहा है।
राजनैतिक विश्लेषक यह भी कह रहे कि हर चुनाव में लड़ाई वर्तमान जनप्रतिनिधि से होती है। वह कितना मजबूत यह वोटों के गिनती के बाद ही पता चल पाएगा। वैसे जनता चर्चा के दौरान जो बातें कह रही उसके अनुसार तमकुहीराज में मुख्य मुकाबला भाजपा व सपा के बीच कांटे का है। जबकि कांग्रेस काफी पिछड़ती हुई दिख रही, तो वहीं बसपा पूरी मजबूती से लड़ते हुए कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती पेस कर रही है।
लगातार दो बार से बिधायक एवं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के कार्यों की समीक्षा जनता बारीकी से कर रही, उनके नुक्कड़ सभाओं में स्थानीय विकास या फिर जनहित में किये गये कार्यों की चर्चा न होकर देश प्रदेश की बाते कहीं जा रही है। आप राजनीति के गणित को समझ सकते है। वही पूरे प्रदेश में भाजपा व सपा के बीच सीधी टक्कर और स्थानीय समीकरण के साथ ही मजबूत प्रत्याशी होने के कारण भाजपा के सामने मुख्य मुकाबले में है।
भाजपा की प्रदेश में सरकार है, क्षेत्र के विकास का श्रेय, वर्तमान विधायक के जनता के प्रति जिम्मेदारियों का निर्वहन न करना, प्रदेश सरकार द्वारा आम आदमी के हित मे किये गए कार्यो के साथ ही क्षेत्र को एक प्रख्यात चिकित्सक है, सरल व्यक्तित्व के रूप में डॉ. असीम कुमार राय को प्रत्याशी बना बड़ा सन्देश दिया है। वहीं यहां के कद्दावर नेता पंडित नन्दकिशोर मिश्र को पार्टी में शामिल करा राजनीति की पूरी दिशा ही बदल दी है। बसपा प्रत्याशी संजय गुप्ता पार्टी के पारंपरिक मतदाताओं के अलावे पिछड़े समाज को मजबूती से जोड़ रहे है। वहीं वीआईपी पार्टी से डॉ. के के गुप्ता भी पूरे जोश के साथ ताल ठोक रहे है।
सब मिलाकर इस बार का चुनावी दृश्य पिछले चुनावों से उलट है। और साइलेंट मतदाता सबके दावे और वादे को परख रही है। आम आदमी की माने तो जातीय समीकरण के अलावे आखरी समय में यहां का चुनाव धर्म के आधार पर आकर टिक जाएगा। फिर यहां सपा और भाजपा के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल सकती है, और इसी गणित के कारण कांग्रेस अपने ही बनाये जाल में उलझकर बुरी तरह फंस जाएगी। वैसे चुनाव सम्भावनाओं का खेल है, लोकतंत्र में जनता का फैसला ही असल होता है। अब देखना यह होगा कि जनता चुनाव में किस समीकरण, आधार पर चुनाव करती है।
जनता के भावनाओं, क्षेत्रीय समीकरण, और राजनैतिक दलों के दावे/वादे के आधार पर चुनावी समीक्षा- अशोक मिश्र /न्यूज अड्डा
Topics: अड्डा ब्रेकिंग तमकुहीराज